Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
India

पढ़ें एक ऐसे शहीद की कहानी, जिसकी वीरगाथा अपने आप में मिसाल है!

Mansi Tracker Dog

[nextpage title=”MANSI” ]

देश को आजाद हुए आज 70 साल हो चुके हैं और इस आजादी को पाने के लिए अनगिनत लोगों ने अपना सब कुछ इस देश पर लुटा दिया था। ये आजादी हमें जितनी मुश्किल से मिली है, उतना ही मुश्किल काम है इस आजादी की हिफाजत करना। देश की आजादी की रक्षा में कई लोगों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है और आज हम आपको ऐसे शहीद के बारे में बताएँगे, जिसकी वीरगाथा किसी से कम नहीं है।

अगले पेज पर पढ़िए मानसी की वीरता की कहानी

[/nextpage]

[nextpage title=”MANSI” ]

कुछ शहीद ऐसे भी:

14 अगस्त को भारतीय सेना द्वारा इतिहास में पहली बार एक 4 साल की लैब्राडोर ‘मानसी’ जो कि, भारतीय सेना की ट्रैकर डॉग यूनिट का हिस्सा थी, को मरणोपरांत युद्ध सम्मान दिया गया। मानसी और उसके हैंडलर बशीर ने उत्तरी कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था।

पिछले साल अगस्त में पाक अधिकृत कश्मीर से सटे घने जंगलों से आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ की जा रही थी। जिसे रोकते वक़्त 160 प्रादेशिक सेना की मानसी और उसके हैंडलर बशीर वीरगति को प्राप्त हो गए थे।

ट्रैकर डॉग यूनिट का हिस्सा होने के चलते ‘मानसी’ ने कुछ हलचल महसूस की और अपने हैंडलर बशीर को ऊंचे पहाड़ी इलाकों की तरफ घसीटने लगी, जहाँ बादल काफी नीचे थे।

मानसी ने उस इलाके से घुसपैठ कर रहे आतंकवादियों की सूचना के लिए भौंकना शुरू किया, जिससे बचने के लिए आतंकवादियों ने मानसी को गोली मार दी, जिसके बाद हैंडलर बशीर ने मानसी का बदला लेने के लिए आतंकवादियों से अकेले ही मोर्चा लेना शुरू किया। मानसी और बशीर उस वक़्त से साथ में थे, जब से मानसी ट्रैकर यूनिट का हिस्सा बनी थी।

मौत भी बशीर और मानसी को अलग नहीं कर सकी, मानसी को आतंकवादियों ने अपना शिकार बनाया और आतंकवादियों से लड़ते हुए बशीर भी शहीद हो गये। लेकिन, तब तक सेना के अन्य जवान वहां पहुँच चुके थे और उन्होंने सभी घुसपैठियों को मार गिराया।

एक सीनियर आर्मी ऑफिसर के मुताबिक, जब युद्धक्षेत्र में कोई डॉग घायल होता है, तब भी सेना वही करती है जो एक घायल सिपाही के लिए करती है। यहाँ तो दोनों ने ही अपने प्राणों का बलिदान दे दिया है।

पोस्टमार्टम के बाद मानसी के पार्थिव शरीर पर भारतीय सेना ने फूल चढ़ाये और उसे उसी की यूनिट लाइन के पास दफना दिया गया।

मानसी और उसके हैंडलर बशीर ने पहले भी कई घुसपैठ को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, 21 जुलाई, 2015 को उन्होंने तंगधार सेक्टर में तीन घुसपैठियों को मार गिराया था।

सेना ने ऐसे किया मानसी को ‘अमर’:

भारतीय सेना द्वारा मानसी को मरणोपरांत युद्ध सम्मान से सम्मानित किया गया है, सेना मानसी का जिक्र डिस्पैचिज के उल्लेख में भी करेगी। इसके अलावा सेना देश पर किये गए मानसी के महान त्याग के चलते उसका नाम राज-पत्र में भी शामिल करेगी।

[/nextpage]

Related posts

आज चौकीदार शब्द देशभक्ति का पर्याय बन गया है: पीएम नरेन्द्र मोदी

UP ORG DESK
6 years ago

वीडियो: अचानक आई लहर और कैमरे में कैद हुआ 3 युवकों के साथ दर्दनाक हादसे का मंजर!

Shashank
8 years ago

वीडियो: नशे में धुत्त लड़की ने पुलिस थाने में किया ‘हाई-वोल्टेज ड्रामा’

Org Desk
8 years ago
Exit mobile version