प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वी.डी.सावरकर को उनकी 133वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत मां के सपूत और अनेक लोगों के प्रेरणास्रोत वीर सावरकर की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन।‘
भारत मां के सपूत और अनेकों लोगों के प्रेरणास्रोत वीर सावरकर की जन्म जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन।
— Narendra Modi (@narendramodi) May 28, 2016
वीर सावरकर :
वीर सावरकर एक प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे और उन्हें किसी भी कीमत पर राष्ट्रवाद से समझौता करनागवारा नहीं था। विनायक दामोदर सावरकर का जन्म जन्म 28 मई, 1883 को नासिक के भागुर गांव में हुआ था। अंग्रेजों से लोहा लेने वाले इस क्रांतिकारी को आजादी के बाद वीर सावरकर के नाम से जाना गया।
एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के साथ ही वह महान क्रान्तिकारी, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे। हिन्दू राष्ट्र के विजय के इतिहास को लिपिबद्ध करने के लिए भी सावरकर को जाना जाता था।
स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों को नाकों चने चबाने को मजबूर करने वाले सावरकर की माता का नाम राधाबाई तथा पिता का नाम दामोदर पन्त सावरकर था। 16 साल की उम्र में ही इनके माता-पिता इन्हें छोड़कर चल बसे। इनकी शादी यमुना बाई के साथ हुई थी और इनकी 3 संताने थी। प्रभाकर और विश्वास सावरकर के अलावा एक पुत्री प्रभात चिपलूणकर थी। इनके एक पुत्र प्रभाकर की मृत्यु अल्पायु में ही हो गई थी।
सावरकर की प्रारंभिक शिक्षा पुणे में ही हुई थी जिसके बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें लन्दन भेज दिया गया था। रुसी क्रांतिकारियों से प्रभावित रहने वाले सावरकर ने बंगाल विभाजन के वक्त विदेशी वस्त्रों का विरोध किया और इन्हे जला दिया।
सावरकर एक प्रख्यात समाज सुधारक थे। उनका दृढ़ विश्वास था, कि सामाजिक एवं सार्वजनिक सुधार बराबरी का महत्त्व रखते हैं व एक दूसरे के पूरक हैं। अपने भाषणों, लेखों व कृत्यों से इन्होंने समाज सुधार के निरंतर प्रयास कर रहे थे। उनके समय में समाज बहुत सी कुरीतियों के बंधनों में जकड़ा हुआ था। इस कारण हिन्दू समाज बहुत ही दुर्बल हो गया था। ऐसा नहीं था कि सामाजिक उत्थान के कार्य केवल हिन्दुओं के लिए था बल्कि वो राष्ट्रहित में था। हालांकि कहा जाता है कि राजनीति से दूर होने के कारण ही उन्हें समाज सुधार का खयाल आया था।
कलेक्टर जैकसन की हत्या के लिए नासिक षडयंत्र के मामले में उन्हें काला पानी की सजा हुई और उन्हें अंडमान के जेल में डाल दिया गया। उस वक्त अंडमान में काला पानी की सजा मिलना अपने आप में खौफनाक होता था जहाँ कैदियों को इतना प्रताड़ित किया जाता था कि उसके बाद कैदी अपनी सुध-बुध खो देते थे। कोल्हू के बैल की तरह कैदियों का इस्तेमाल तेल निकालने के लिए किया जाता था। उन विषम परिस्थितियों में सावरकर ने १० साल का लम्बा समय बिताया। इनकी मृत्यु 26 फ़रवरी 1966 को हुई थी।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पोर्ट ब्लेयर के सेल्युलर जेल में ऐतिहासिक वीर सावरकर ज्योति को फिर से प्रज्वलित करेंगे जहाँ सावरकर को अंग्रेजों ने जेल में रखा था!