वैसे तो हिंदी हमारी मातृभाषा है, परंतु आज के समय में देश में इसे ज़्यादा महत्ता नहीं दी जा रही है. जिसके चलते सभी अंग्रेज़ी सीखने और जानने की इच्छा रखते हैं. परंतु वास्तविकता की बात करें तो वे हिंदी को नकार कर बहुत नहीं गलती करते हैं, क्योकि वे अंग्रेज़ी सीखने के चक्कर में हिंदी भाषा भी ठीक से नहीं सीख पाते हैं. जिसपर आज केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू द्वारा एक बयान दिया गया है.
अंग्रेज़ी के पीछे भागना दुर्भाग्यपूर्ण :
- केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान एक बड़ा बयान दिया गया है.
- जिसके तहत कहा गया है कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है जिसके बिना देश का विकास होना मुश्किल है.
- उन्होंने इस दौरान यह भी कहा है कि जिस प्रकार देश के युवा अंग्रेज़ी की तरफ दौड़ रहे हैं.
- यह एक तरह से देश की भाषा का अपमान है और इसके चलते वे दोनों ही भाषाओं से अनभिज्ञ है.
- उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि वे अंग्रेजों के खिलाफ हैं परंतु उनकी भाषा के नहीं.
- साथ ही कहा कि सभी को हर भाषा आनी चाहिए परंतु इससे मातृभाषा की अवहेलना नहीं की जा सकती.
- बता दें कि उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह अंग्रेज़ी को अपनाया और हिंदी को नाकारा जा रहा है,
- यह करने से देशवासी अपने ही देश को अलग दिशा में ले जा रहे हैं जहाँ संस्कृति की कदर नहीं है.
- नायडू ने इस दौरान यहाँ भी कहा कि देश में अंग्रेज़ी भाषा की ज़रुरत बढ़ गयी है.
- जिसके चलते देश की युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति और समाज की व्यवस्थाओं को भूलती जा रही है.
- ऐसे में देश का केवल एकतरफा विकास हो सकता है और,
- यदि देश का पूर्ण विकास करना है तो संस्कृति को अपनाना होगा.
- बता दें कि वेंकैया नायडू द्वारा दक्षिण भारत से हिंदी को समर्थन ना मिलने के एवाज़ में यह बात कही गयी थी.
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