देश में बीते दिनों हुई कुछ देशविरोधी गतिविधियों को लेकर संसद के नए सत्र में केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की गयी। देश में हुए रोहित आत्महत्या कांड और जेएनयू में हुई देश विरोधी नारेबाजी तथा सरकार द्वारा उठाए गये कदम पर विपक्ष ने संसद में जमकर हंगामा काटा । मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और बसपा प्रमुख मायावती के बीच रोहित वेमुला मामले पर जमकर बहस हुई ।
संसद में हंगामा:
बीते 17 जनवरी 2016 को हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित ने सुसाइड किया था, जिसके बाद पूरे देश में रोहित को लेकर कई स्थानों में प्रोटेस्ट किया गया था। जिसके बाद मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था। इसके आलावा जेएनयू में हुई देश विरोधी नारेबाजी का मामला भी संसद में चर्चा का विषय रहा।
संसद के दोनों ही सदनों में सरकार को इन दो मामलो को लेकर मौजूदा केंद्र सरकार पर आरोप लगाये गये। राज्य सभा में बसपा प्रमुख मायावती तथा मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के बीच जोरदार बहस हुई। मायावती जी का ये कहना था की चूँकि रोहित एक दलित छात्र था इसलिए उसकी मौत के कारणों की जांच करने के लिए जिस कमेटी का गठन किया गया है, उसमे एक दलित भी होना चाहिये। इसके साथ ही राज्यसभा में मौजूदा केंद्र सरकार को दलित विरोधी बताया गया तथा सदन में “मानव संसाधन विकास मंत्री इस्तीफा दें”, ये नारेबाजी भी की गयी।
मानव संसाधन विकास मंत्री का जवाब:
राज्यसभा में बसपा प्रमुख द्वारा लगाये गये आरोपों का स्मृति ईरानी ने खंडन किया और बोला की आप चर्चा करने नही एक बच्चे की मौत पर राजनीति करने आये हैं, आप चर्चा करिये आपको जवाब मिलेगा। साथ ही उन्होंने मायावती जी की इस बात का भी खंडन किया की रोहित मामले की जांच कमेटी में कोई दलित क्यों नही है? उन्होंने बताया की जांच कमेटी के सदस्यों में दलित भी है, पर वो दलित नही है जिसे मायावती जी ने सत्यापित किया हो।
इस तरह के संसद सत्र की उम्मीद सभी को थी, मानव संसाधन विकास मंत्री ने सभी मामलों
का जवाब गंभीरता के साथ दिया वो भावुक भी हुई और नाराज़ भी, रोहित मामले पर उन्होंने कहा की यदि उनके जवाब से आप संतुष्ट नही हैं तो वो अपना सर कटवा देंगी, पर इस्तीफा नही देंगी।
इसमें कोई दो राय नही की स्मृति ईरानी जी ने विपक्ष के सवालो एवं आरोपों का डटकर सामना किया, परन्तु उन्हें अपने शब्दों एवं भावनाओं पर नियंत्रण सीखना होगा। विपक्ष हमेशा सवाल करता है, पर केंद्रीय मंत्री होने के नाते उन्हें संसद की गरिमा का भी ख्याल रखना चाहिए, साथ ही साथ बिना उत्तेजित हुए विपक्ष को निरुत्तर करना सीखना होगा।