हाल ही में हुए उरी हमले के बाद जहाँ एक ओर पूरा भारत पाकिस्तान को टेरर स्टेट घोषित करने की माँग कर रहा है वहीं दूसरी ओर रूस अब चीन की राह पर चल पड़ा है।
पुराना दोस्त एक नए दोस्त से बेहतर :
- बीते कुछ समय में प्रधानमंत्री मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिले थे।
- अपनी इस मुलाकात के बाद मोदी ने कहा था कि एक पुराना दोस्त नए दोस्त से अच्छा होता है।
- जिसके बाद पूरे देश को रूस की तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ भारत का साथ देने की उम्मीद थी।
- बताया जा रहा है कि हाल ही में हुए ब्रिक्स सम्मलेन के दौरान रूस ने ऐसा कुछ नहीं किया।
- जैसा कि भारत ने सोचा था रूस ने उसका बिलकुल विपरीत कर आतंकवाद के खिलाफ चुप्पी साधे रखी।
- रूस की इस चुप्पी का कारण उसकी पकिस्तान से बड़ी नज़दीकियों को बताया जा रहा है।
- बताया जा रहा है कि रूस ने पकिस्तान के साथ एंटी-टेरर एक्सरसाइज के तहत कई सैन्य अभ्यास किये हैं।
अल-नुसरा का नाम घोषणापत्र में शामिल :
- बताया जा रहा है कि रूस ने जैश-ए-मोहम्मद का नाम गोवा डिक्लेरेशन में शामिल करने में भारत की मदद नहीं की।
- परंतु उसने सीरिया के जभात-अल-नुसरा संगठन को आतंकवादी संगठन घोषित करने का समर्थन किया है।
- यह इसलिए क्योंकि रूस सीरिया में लगातार अल-नुसरा को अपना निशाना बना रहा है।
- आपको बता दें कि अल-नुसरा संगठन सीरिया में बशर-अस असद की सरकार को गिराने के लिए लगातार विद्रोह छेड़े हुए है।
- अल-नुसरा की ही तरह संयुक्त राष्ट्र ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए तैयबा को भी प्रतिबंधित घोषित किया हुआ है।
- बता दें कि उरी और पठानकोट में हुए आतंकी हमलों के लिए जैश-ए-मोहम्मद ने ही जिम्मेदारी ली थी।
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