पश्चिम बंगाल में नदिया जिले के एक गांव में एक हिंदू परिवार आर्थिक तंगी से इतना बेबस था कि उसके पिता के शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट तक ले जाने के लिए पैसे नहीं थे। ऐसी मुश्किल घड़ी में उनकी मदद के लिए मुस्लिम पड़ोसी आगे आए। समुदाय के नाम पर राजनीति और नफरत फैलाने वाले लोग, जिस तस्वीर को पेश करते हैं। उससे ठीक उलट यही दोनों समुदाय इन नेताओं को हमेशा आपसी सौहार्द की मिसाल पेश कर इन्हें आईना दिखाते हैं।
यह भी पढ़ें… न हिंदू गया, न मुसलमान गया, हमारे बीच से एक इंसान चला गया!
मदद के लिए आगे आये पड़ोसी :
- नदिया जिले में तेहत्ता के समीप पलाशीपाड़ा धावापाड़ा गांव के अकाली सरदार (80) का बीते बुधवार को निधन हो गया था।
- उनके परिवार के पास शव को करीब 26 किलोमीटर दूर श्मशान घाट तक ले जाने के पैसे नहीं थे।
- इस गांव में करीब 210 परिवार रहते हैं जिनमें से ज्यादातर मुस्लिम हैं।
- जब गांववालों ने सरकार के परिवार की समस्या सुनी थी तो लोगों से मदद करने के लिए लाउड स्पीकर पर घोषणा की गई।
- सरदार के परिवार के मुस्लिम पड़ोसी उनकी मदद करने के लिए आगे आए।
- उन्होंने दोनों बेटों खाकोन और स्वपन के अलावा उसकी पत्नी शांति को रुपये दिए।
यह भी पढ़ें… इंडिया की जीत की आरती में एक साथ शामिल हुए हिंदू मुस्लिम
सभी रस्म पूरी होने तक रूके रहे पड़ोसी :
- मुस्लिम पड़ोसी ना केवल शव को श्मशान घाट तक लेकर गए बल्कि सभी रस्में पूरी होने तक वहां रुके रहे।
- मामले के बारे में पता चलने पर तेहत्ता 2 के ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) अभिजीत चौधरी ने मुस्लिम परिजनों का सराहना की।
- उन्होंने अकाली सरकार के परिवार की मदद करने के लिए गांववालों को बधाई दी।
- बीडीओ ने कहा इलाके के मुस्लिमों ने सांप्रदायिक सौहार्द का उदाहरण पेश किया है।
यह भी पढ़ें… तीन तलाक पीड़ित मुस्लिम महिला ने हिंदू धर्म अपनाने की दी धमकी!
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें