आज से लगभग 56 साल पहले भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी समझौता हुआ था। परंतु बीते दिनों हुए उरी हमले के बाद सिंधु जल समझौता रद्द हो सकता है। इसका मुख्य कारण पकिस्तान का पूर्णता बहिष्कार करना बताया जा रहा है।
यह निर्णय आसान नहीं होगा :
- बताया जा रहा है कि आज दोपहर 12 बजे प्रधानमंत्री मोदी सिंधु समझौता रद्द करने के मुद्दे पर विचार करने वाले हैं।
- परंतु सिंधु के पानी को पाकिस्तान जाने से रोकना आसान भी नहीं रहने वाला है।
- इसका मुख्य कारण चीन का भारत के निर्णय के खिलाफ रोड़ा बनकर खड़ा होना माना जा रहा है।
- आपको बता दें कि पाकिस्तान की हरकतों का जवाब देने के लिए भारत ने एक प्लान तैयार किया है।
- इस प्लान पर अगर मुहर लग जाती है तो फिर पाकिस्तान तक नदी का पानी नहीं जाएगा।
- दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान को अलग करने की बात कह चुके हैं।
- माना जा रहा है कि इसकी शुरुआत सिंधु नदी के पानी पर ब्रेक लगाकर की जा सकती है।
- आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर होकर पाकिस्तान में बहने वाली सिंधु नदी वहां की लाइफ लाइन है।
- यही नहीं पाकिस्तान की आधी से ज्यादा आबादी की प्यास इसी नदी के द्वारा बुझती है।
- इसके अलावा खेती से लेकर पाकिस्तान में 10 हजार मेगावाट बिजली भी इससे ही पैदा होती है।
क्या था सिन्धु नदी समझौता :
- आपको बता दें कि 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी शासक अयूब खान में समझौता हुआ था।
- इसके तहत सिंधु बेसिन में बहने वाली छह नदियों में से सतलुज, रावी और ब्यास पर तो भारत का पूर्ण अधिकार है।
- वहीं पश्चिमी हिस्से की सिंधु, चेनाब और झेलम के पानी का भारत सीमित इस्तेमाल कर सकता है।
- ऐसे में पहली नजर में तो ये लगता है कि समझौता तोड़ने का फैसला पाकिस्तान को प्यासा मार सकता है।
- हालांकि यह ये इतना आसान नहीं है क्यूकि ऐसा तय हुआ था कि भारत सिंधु, झेलम और चिनाब पर बांध नहीं बनाएगा।
- इस कारण भारत के सामने दिक्कत है कि पाकिस्तान के हिस्से का पानी रोकने के लिए बांध और कई नहरें बनानी होंगी।
- जिसमे बहुत वक्त और पैसा लगेगा इसके अलावा इससे विस्थापन की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है।
- इसके साथ ही पर्यावरण भी प्रभावित हो सकता है पर पाकिस्तान इससे प्रभावित नहीं होगा ऐसा माना जा रहा है।