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World Health Day 2018: स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने के उद्देश्य से मनाया जाता है

आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल 7 अप्रैल मनाया जाता है। इस दिन लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने का संदेश दिया जाता है। सरकारों को स्वास्थ्य नीतियों के निर्माण तथा उनके सही तरह से क्रियान्वन के लिए प्रेरित किया जाता है। अपने स्वास्थ के प्रति लोगों को हमेशा जागरूक रहना चाहिए क्योंकि स्वस्थ शरीर के द्वारा ही हम किसी कार्य को पूरी ऊर्जा के साथ संपादित कर सकते हैं।

क्यों मनाया जाता है स्वास्थ्य दिवस

दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य के स्तर को सुधारने के उद्देश्य से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। कोशिश होती है कि हर इंसान को सस्ते में अच्छा इलाज की सुविधा मिल सके। दुनिया भर में लाखों-करोड़ों लोग पोलियो, नेत्रहीनता, दिल की बीमारी, मलेरिया, कुष्ठ, टीबी, एड्स जैसे भयानक रोगों के शिकार हैं। ऐसे में इन बीमारियों के रोकथाम तथा इनके इलाज की समुचित व्यवस्था आदि विषयों पर विमर्श और जागरूकता भी स्वास्थ्य दिवस के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं।

1948 से मनाया जाता है स्वास्थ्य दिवस

दुनिया भर के लोगों को निरोग बनाने के उद्देश्यों वाली वैश्विक संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को हुई। इसी दिन डब्ल्यूएचओ की पहली स्वास्थ्य सभा भी हुई थी। इसके दो साल बाद से यानी कि 7 अप्रैल 1950 से हर साल इसी दिन विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई थी। इस साल 70वां स्वास्थ्य दिवस मनाया जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के बैनर तले 195 से अधिक देश शामिल हैं। ये सभी देश अपने-अपने देश के नागरिकों को रोगमुक्त बनाने के लिए प्रयासरत हैं।

भारत के संदर्भ में डब्ल्यूएचओ ने दिए ये सुझाव

डब्ल्यूएचओ ने विश्व स्वास्थ्य दिवस के मद्देनजर भारत के संबंध में भी कुछ सुझाव दिए हैं साथ ही आंकड़े भी जारी किए हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में अभी 87 प्रतिशत तक ही एक साल तक के बच्चों का टीकाकरण हो पाता है। वहीं अब भी जन्म के बाद लगने वाले टिकों से 13 फीसदी बच्चे वंचित रह जाते हैं। इसे शत-प्रतिशत के लक्ष्य तक ले जाना है। वहीं, भारत में अभी टीबी यानी तपेदिक के 44 प्रतिशत मरीजों का ही सफलतापूर्वक इलाज हो पाता है। यानी कि 66 प्रतिशत टीबी के मरीज आज भी इसके इलाज से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में हमें टीबी को जड़ से खत्म करने की दिशा में सार्थक प्रयास करना होगा।

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