छोटे लाल वर्मा [ MLA Chhote Lal Verma ] का जन्म 7 जुलाई 1953 को उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के नगला देवहंस गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा डी.ए.वी इंटर कॉलेज, आगरा से प्राप्त की और जनता इंटरमीडिएट कॉलेज से सीनियर सेकेंडरी पूरी की।

उनका विवाह 12 मई 1965 को स्वर्गीय माया देवी से हुआ था। उनके 6 बच्चे हैं – 3 बेटे और 3 बेटियां

छोटे लाल वर्मा: फतेहाबाद की राजनीति का ‘आया राम, गया राम’ [ MLA Chhote Lal Verma ]

आगरा। उत्तर प्रदेश की राजनीति में छोटे लाल वर्मा का नाम एक ऐसे नेता के रूप में उभरता है, जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर [ Chhote Lal Verma Political Journey ] में कई पार्टियों का दामन थामा है।फतेहाबाद की राजनीति का ‘आया राम, गया राम फतेहाबाद विधानसभा सीट से चार बार विधायक रह चुके छोटे लाल वर्मा ने भाजपा और बसपा दोनों के टिकट पर जीत हासिल की है। हाल ही में 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से जीतकर वह एक बार फिर चर्चा में हैं। लेकिन उनका राजनीतिक सफर विवादों और चुनौतियों से भरा रहा है। आइए जानते हैं उनके जीवन और राजनीतिक करियर के प्रमुख पड़ाव:

छोटे लाल वर्मा का व्यक्तिगत जीवन

  • पूरा नाम: छोटे लाल वर्मा
  • जन्म तिथि: 07 जुलाई 1953 (आयु 71 वर्ष)
  • जन्म स्थान: नगला देवहंस, आगरा, उत्तर प्रदेश
  • पार्टी: भारतीय जनता पार्टी (BJP)
  • शिक्षा: हाई स्कूल
  • पेशा: कृषक और व्यवसायी
  • पिता का नाम: जंगजीत सिंह
  • माता का नाम: उपलब्ध नहीं
  • जीवनसाथी का नाम: स्वर्गीय माया देवी
  • बच्चे: 3 बेटे, 3 बेटियां
  • धर्म: हिंदू
  • जाति: मल्लाह (निषाद)

राजनीतिक सफर की शुरुआत: भाजपा से [ MLA Chhote Lal Verma Biography ]

  • 1993: पहली बार भाजपा के टिकट पर फतेहाबाद से विधायक चुने गए।
  • 2002: दूसरी बार भाजपा से जीतकर विधानसभा पहुँचे।
  • भाजपा में पहचान: दो बार की जीत ने उन्हें आगरा की राजनीति में एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया।

बसपा का दामन थामा

  • 2012: राजनीतिक हवाओं के बदलाव के साथ छोटे लाल वर्मा ने बसपा का रुख किया।
  • जीत: बसपा के टिकट पर फतेहाबाद से तीसरी बार विधायक बने। इस बार उन्होंने सपा के डॉ. राजेंद्र सिंह को हराया।
  • बसपा से दूरी: कुछ समय बाद ही वह अनौपचारिक रूप से बसपा से दूर हो गए और सपा के करीब दिखाई दिए।

सपा के साथ नजदीकी

  • 2014 लोकसभा चुनाव: सपा के साथ नजदीकी बढ़ाई, लेकिन औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल नहीं हुए।
  • कारण: विधायक पद निरस्त होने का डर।

भाजपा में वापसी

  • 2017 विधानसभा चुनाव: सपा से टिकट न मिलने पर भाजपा में वापसी की।
  • जीत: भाजपा के टिकट पर चौथी बार फतेहाबाद से विधायक बने।
  • 2022 विधानसभा चुनाव: एक बार फिर भाजपा से जीत हासिल की।

विवादों में घिरे छोटे लाल वर्मा

  1. 2022 में आरोप:
    • एक महिला ने छोटे लाल वर्मा और उनके बेटे लक्ष्मीकांत वर्मा के खिलाफ शारीरिक शोषण, गर्भपात, मारपीट, और जहरखुरानी का मुकदमा दर्ज कराया।
    • आरोप: धारा 376, 313, 323, 504, 506, 494 और 328 के तहत मुकदमा दर्ज।
    • प्रतिक्रिया: छोटे लाल वर्मा ने आरोपों को झूठा बताया और राजनीतिक षड्यंत्र का आरोप लगाया।
  2. पार्टी बदलने की आदत:
    • भाजपा से बसपा और फिर वापस भाजपा में लौटने के कारण उन्हें “आया राम, गया राम” नेता कहा जाता है।

राजनीतिक रणनीति और सफलता का सूत्र Chhote Lal Verma Political Career

  • जनसंपर्क: छोटे लाल वर्मा को अपने क्षेत्र में मजबूत जनसंपर्क के लिए जाना जाता है।
  • वोट बैंक: उन्होंने ब्राह्मण और अन्य पिछड़े वर्गों के बीच अपनी पकड़ मजबूत की है।
  • पार्टी बदलने की कला: राजनीतिक परिस्थितियों के अनुसार पार्टी बदलकर अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी।

छोटे लाल वर्मा की राजनीतिक यात्रा [ MLA Chhote Lal Verma Biography ]

  • 2022 – वह फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र से 18वीं उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चौथी बार विधायक चुने गए।
  • 2012-13 – सार्वजनिक उपक्रमों और निगमों पर संयुक्त समिति के सदस्य रहे।
  • 2012 – उत्तर प्रदेश की 16वीं विधानसभा के सदस्य बने।
  • 2008 – उन्हें राज्य सरकार की राम गंगा परियोजना का उपाध्यक्ष बनाया गया।
  • 2003-07 – सरकारी आश्वासन समिति के सदस्य रहे।
  • 2002-07 – उत्तर प्रदेश की 14वीं विधानसभा के सदस्य बने।
  • 2002-03 – याचिका समिति के सदस्य रहे।
  • 1994-95 – अनुमान समिति के सदस्य रहे।
  • 1993-95 – 12वीं उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने।

विवादों के बीच राजनीतिक जीवन

छोटे लाल वर्मा का राजनीतिक सफर [ Chhote Lal Verma Political Career ] उत्तर प्रदेश की जटिल राजनीति को दर्शाता है। उन्होंने अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनाकर चार बार विधायक बनने का रिकॉर्ड बनाया है। हालाँकि, विवादों और पार्टी बदलने की आदत ने उनकी छवि को प्रभावित किया है। 2022 के चुनाव में भाजपा से जीतकर उन्होंने एक बार फिर साबित किया कि वह फतेहाबाद की राजनीति के अहम खिलाड़ी हैं। 

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