अलीगढ़ जिले की खैर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र दिलेर [ MLA Surender Diler ] ने शानदार जीत दर्ज की है। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी डॉक्टर चारू कैन को 38,393 मतों के भारी अंतर से पराजित किया। यह जीत न केवल भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि दिलेर परिवार की राजनीतिक विरासत को भी मजबूती प्रदान करती है।
सुरेंद्र दिलेर ,दिलेर परिवार की तीसरी पीढ़ी के राजनेता हैं जो सक्रिय राजनीति में हैं। उनके पिता और दादा दोनों ने पहले सांसद और विधायक के रूप में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। इस जीत के साथ ही दिलेर परिवार ने खैर सीट पर अपनी पैठ को और मजबूत किया है।
भाजपा के लिए यह जीत विशेष महत्व रखती है क्योंकि इसके साथ ही पार्टी ने इस सीट पर हैट्रिक बना ली है। पिछले तीन चुनावों में भाजपा ने इस सीट पर अपना परचम लहराया है।
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सुरेंद्र दिलेर: खैर विधानसभा सीट पर तीसरी पीढ़ी का राजनीतिक सफर MLA Surender Diler
खैर विधानसभा सीट का उपचुनाव भाजपा के लिए एक ऐतिहासिक जीत साबित हुआ, जहाँ 31 वर्षीय सुरेंद्र दिलेर ने 38,393 वोटों के भारी अंतर से विजय हासिल की। यह जीत न केवल भाजपा के लिए हैट्रिक का प्रतीक है, बल्कि दिलेर परिवार की तीसरी पीढ़ी की राजनीतिक विरासत को भी मजबूती प्रदान करती है।
दिलेर परिवार की राजनीतिक विरासत
सुरेंद्र दिलेर के राजनीतिक सफर की नींव उनके दादा स्व. किशनलाल दिलेर और पिता राजवीर दिलेर ने रखी थी।
- किशनलाल दिलेर (दादा): जनसंघ से शुरुआत कर चार बार विधायक (1967, 1985, 1991, 1993) और चार बार हाथरस से सांसद (1996-2004) रहे। हाथरस में भाजपा से लगातार चार बार सांसद बनने का रिकॉर्ड आज भी उनके नाम है।
- राजवीर दिलेर (पिता): इगलास से दो बार विधायक (2017, 2022) और हाथरस से सांसद (2019) रहे। 2024 में पार्टी टिकट न मिलने के बाद चुनाव प्रचार के दौरान हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया।
सुरेंद्र दिलेर का राजनीतिक उदय [ MLA Surender Diler ]
सुरेंद्र, जो पहले किसी भाजपा प्रकोष्ठ में सक्रिय नहीं थे, इस उपचुनाव में पहली बार मैदान में उतरे और जीत दर्ज की। उनकी जीत के पीछे कई कारण रहे:
- परिवार की विरासत: दिलेर परिवार का खैर और आसपास के क्षेत्रों में गहरा जनाधार रहा है।
- सहानुभूति लहर: पिता राजवीर दिलेर के अचानक निधन ने मतदाताओं को भावनात्मक रूप से प्रभावित किया।
- गठबंधन की रणनीति: भाजपा-रालोद गठबंधन के बावजूद, पार्टी ने सुरेंद्र को टिकट देकर परिवार के प्रति विश्वास जताया।
गभाना तहसील: अलीगढ़ की राजनीतिक धुरी [ MLA Surender Diler ]
खैर विधानसभा और हाथरस लोकसभा दोनों ही सीटों पर गभाना तहसील का प्रभुत्व रहा है।
- सुरेंद्र दिलेर (दौरऊ-चांदपुर) और अनूप प्रधान (रकराना-पिसावा) दोनों इसी तहसील से हैं।
- इससे पहले भी यह क्षेत्र कई बड़े नेताओं को देख चुका है, जैसे:
- पंडित मोहनलाल गौतम (मंत्री)
- शीला गौतम (चार बार सांसद)
- ठाकुर दलवीर सिंह (मंत्री)
भाजपा का मजबूत गढ़ बना खैर
सुरेंद्र दिलेर [ MLA Surender Diler ] की जीत ने भाजपा को खैर सीट पर लगातार तीसरी बार जीत दिलाई है। यह जीत न केवल दिलेर परिवार की राजनीतिक पकड़ को दर्शाती है, बल्कि गभाना तहसील को एक बार फिर उत्तर प्रदेश की राजनीति में प्रमुख स्थान दिलाती है। आने वाले समय में सुरेंद्र दिलेर क्षेत्र के विकास और भाजपा की जमीनी रणनीति में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
अलीगढ़ जिले के 7 विधायक का जीवन परिचय और राजनीतिक सफर
क्रम संख्या | विधायक का नाम | पार्टी का नाम | विधानसभा क्षेत्र | जिला |
---|---|---|---|---|
1 | अनिल पाराशर | भारतीय जनता पार्टी | 75-कोइल | अलीगढ़ |
2 | जयवीर सिंह | भारतीय जनता पार्टी | 72-बरौली | अलीगढ़ |
3 | मुक्ता संजीव राजा | भारतीय जनता पार्टी | 76-अलीगढ़ | अलीगढ़ |
4 | रवेंद्र पाल सिंह | भारतीय जनता पार्टी | 74-छर्रा | अलीगढ़ |
5 | राजकुमार सहयोगी | भारतीय जनता पार्टी | 77-इगलास | अलीगढ़ |
6 | संदीप कुमार सिंह | भारतीय जनता पार्टी | 73-अतरौली | अलीगढ़ |
7 | सुरेंद्र डीलर | भारतीय जनता पार्टी | 71-खैर | अलीगढ़ |