2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में आलापुर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के त्रिभुवन दत्त [ Tribhuwan Dutt ] ने शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के त्रिवेणी राम को 15,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया।
इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के केडी गौतम तीसरे स्थान पर रहे। समाजवादी पार्टी की इस जीत ने आलापुर क्षेत्र में पार्टी की मजबूत पकड़ को दर्शाया और आगामी चुनावों के लिए संगठन को और अधिक मजबूती दी।
विधानसभा चुनाव 2022 : अंबेडकर नगर के सभी विधानसभा सीटों पर सपा को मिली जीत
त्रिभुवन दत्त [ Tribhuwan Dutt ]: अंबेडकरनगर के एक दलित नेता का राजनीतिक सफर
त्रिभुवन दत्त का राजनीतिक करियर अंबेडकरनगर जिले में दलित राजनीति के उतार-चढ़ाव का एक जीवंत दस्तावेज है। वर्ष 2000 में जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में चुने जाने के साथ ही उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। इसी पद पर रहते हुए उन्हें वर्ष 2002 में एक बड़ा राजनीतिक मौका मिला, जब मायावती के इस्तीफे के बाद अकबरपुर लोकसभा सीट (अब अंबेडकरनगर) रिक्त हुई। बसपा-भाजपा गठबंधन के तहत उन्होंने इस उपचुनाव में जीत हासिल कर पहली बार सांसद का पद संभाला और जिला पंचायत अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
राजनीतिक उतार-चढ़ाव का दौर
वर्ष 2005 के लोकसभा चुनाव में त्रिभुवन दत्त को बसपा टिकट पर हार का सामना करना पड़ा, जब वे सपा के शंखलाल माझी से पराजित हुए। हालांकि, वर्ष 2007 में उन्होंने जहांगीरगंज (अब आलापुर) विधानसभा सीट से विधायक का चुनाव जीतकर फिर से अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता साबित की। परिसीमन के बाद वर्ष 2012 में आलापुर सीट से चुनाव लड़ने पर उन्हें मतदाताओं के नाराजगी भरे रुख का सामना करना पड़ा और हार का मुंह देखना पड़ा। वर्ष 2017 में एक बार फिर बसपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे, लेकिन सफलता नहीं मिली।
बसपा से सपा तक का सफर [ Tribhuwan Dutt ]
दलित समाज में गहरी पैठ रखने वाले त्रिभुवन दत्त ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बसपा के साथ की थी। पार्टी में उनकी मजबूत स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे दो बार बसपा के जोनल को-ऑर्डिनेटर रहे, जिसमें अयोध्या और बनारस मंडल शामिल हैं। हालांकि, बाद में पार्टी नेतृत्व से मतभेदों के चलते उन्हें संगठन के प्रमुख पदों से हटा दिया गया। इसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी का रुख किया और अखिलेश यादव के विश्वासपात्र बनकर 2022 के विधानसभा चुनाव में आलापुर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा।
बहुजन से साइकिल तक का सफर
अक्टूबर 2020 में त्रिभुवन दत्त द्वारा बसपा छोड़कर सपा में शामिल होने और साइकिल (सपा का चुनाव चिन्ह) की सवारी शुरू करने से अंबेडकरनगर की राजनीति में हलचल मच गई। यह कदम बसपा के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ, क्योंकि त्रिभुवन दत्त का दलित समुदाय में व्यापक प्रभाव था। उनके इस फैसले ने सपा को जिले में मजबूती प्रदान की, जबकि बसपा को अपनी जमीनी उपस्थिति पुनर्परिभाषित करनी पड़ी।
त्रिभुवन दत्त का राजनीतिक सफर उनकी लचीली रणनीति और स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ का परिचायक है। बसपा से सपा तक के उनके सफर ने अंबेडकरनगर की राजनीति को नया आयाम दिया है। 2022 के चुनाव में सपा के टिकट पर उनकी जीत ने साबित कर दिया कि वे अब भी जिले की राजनीति में एक प्रमुख शक्ति हैं। आने वाले समय में उनकी भूमिका न केवल अंबेडकरनगर बल्कि पूर्वी उत्तर प्रदेश की दलित राजनीति में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
त्रिभुवन दत्त का राजनीतिक सफर [ Tribhuwan Dutt ]
क्रम संख्या | पार्टी का नाम | जिला |
---|---|---|
1 | बहुजन समाज पार्टी (बसपा) | अंबेडकरनगर |
2 | समाजवादी पार्टी (सपा) | अंबेडकरनगर |
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अंबेडकरनगर जिले के विधायकों की सूची
क्रम संख्या | विधायक का नाम | पार्टी का नाम | विधानसभा क्षेत्र | जिला |
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1 | त्रिभुवन दत्त | समाजवादी पार्टी | 279 – आलापुर | अंबेडकरनगर |
2 – उपचुनाव 2024 | धर्मराज निषाद | भाजपा | 277 – कटेहरी | अंबेडकरनगर |
2 | लालजी वर्मा | समाजवादी पार्टी | 277 – कटेहरी | अंबेडकरनगर |
3 | राकेश पांडेय | समाजवादी पार्टी | 280 – जलालपुर | अंबेडकरनगर |
4 | राम अचल राजभर | समाजवादी पार्टी | 281 – अकबरपुर | अंबेडकरनगर |
5 | राम मूर्ति वर्मा | समाजवादी पार्टी | 278 – टांडा | अंबेडकरनगर |
Updated : November 23, 2024