MLA Akhilesh Yadav Political Journey : अखिलेश यादव ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत जब 12वीं कक्षा में थे, तभी वे समाजवादी आंदोलन से जुड़ गए थे। हालांकि, सपा में 1994 में पूरी तरह से शामिल होकर सक्रिय राजनीति में कदम रखा था.

MLA अखिलेश का राजनीतिक सफर Akhilesh Yadav Political Journey

अखिलेश यादव ने 2012 और 2017 के मुबारकपुर विधानसभा  चुनाव समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर लड़े थे, लेकिन दोनों ही बार वे बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली से हार गए। यह उनके राजनीतिक करियर में बड़ी चुनौती थी, क्योंकि सपा सुप्रीमो के तौर पर उनकी भूमिका और नेतृत्व पर सवाल उठे थे।

2012 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी अखिलेश यादव को बसपा प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने 5,863 वोटों के अंतर से हराया था। इसके बाद 2017 के मुबारकपुर विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव एक बार फिर गुड्डू जमाली के सामने खड़े हुए, लेकिन इस बार वह महज 688 वोटों के अंतर से हार गए। लगातार दो चुनावों में बेहद कम अंतर से हारने के बावजूद अखिलेश यादव का संघर्ष और पार्टी नेतृत्व में उनकी भूमिका अहम रही है।

इसके बावजूद, अखिलेश यादव ने हार से सीखते हुए पार्टी को मजबूती दी। 2022 में यह तीसरा मौका था जब सपा  ने विश्वासपात्र जिलाध्यक्ष अखिलेश पर भरोसा जताया है, जो यह संकेत देता है कि वे अभी भी पार्टी के भविष्य के लिए तैयार हैं और चुनावी चुनौतियों का सामना करने के लिए दृढ़ हैं।

आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अखिलेश यादव ने भाजपा के अरविंद जायसवाल को हराकर जीत हासिल की है। वहीं, बहुजन समाज पार्टी के अब्दुस्सलाम तीसरे स्थान पर रहे हैं। यह सीट हमेशा से बहुजन समाज पार्टी का मजबूत गढ़ मानी जाती थी, जहां 1996 से बसपा का कब्जा रहा है। इस बार का मुकाबला दिलचस्प रहा क्योंकि मुस्लिम बहुल इस सीट पर कांग्रेस और बसपा दोनों ने मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा था। कांग्रेस की परवीन बानो और बसपा के अब्दुस्सलाम ने चुनाव लड़ा, लेकिन AIMIM के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली की एंट्री से चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव देखने को मिला।

कभी ‘अंतरात्मा’ जगी और पाला बदल हो गया ?

अखिलेश यादव ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत तब की जब वे 12वीं कक्षा में थे और समाजवादी आंदोलन से जुड़ गए थे। हालांकि, उन्होंने 1994 में समाजवादी पार्टी में औपचारिक रूप से शामिल होकर सक्रिय राजनीति में कदम रखा। इसके बाद वे पार्टी के विभिन्न आंदोलनों में हिस्सा लेते हुए राजनीति में अपनी जगह बनाते गए, और आगे चलकर पार्टी के प्रमुख नेताओं में शुमार हुए।

 

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