वीरेन्द्र सिंह राणा का जीवन परिचय संघर्ष का अद्वितीय उदाहरण है। उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के छोटे से गांव बिसाना में जन्मे वीरेंद्र सिंह राणा ने कठिनाइयों से जूझते हुए जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा किया और आगे चलकर भारतीय राजनीति में एक सम्मानजनक स्थान हासिल किया।
वीरेन्द्र सिंह राणा : प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
वीरेंद्र सिंह राणा का जन्म 1 नवंबर 1958 को हाथरस जनपद के गांव बिसाना में हुआ था। उनका बचपन बेहद कठिन परिस्थितियों में बीता क्योंकि उनके पिता का निधन उनके जन्म के एक वर्ष बाद ही हो गया था। पारिवारिक आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उन्हें बहुत ही कम उम्र में काम करना शुरू करना पड़ा।
शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्हें संघर्ष करना पड़ा, बावजूद इसके उन्होंने सादाबाद इंटर कॉलेज, सादाबाद मिडिल एजुकेशन बोर्ड, प्रयागराज से 1976 में इंटरमीडिएट (12वीं) की परीक्षा उत्तीर्ण की। उनका जीवन परिचय बताता है कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आत्मनिर्भर बनने का साहसिक निर्णय लिया और कभी हार नहीं मानी।
वीरेन्द्र सिंह राणा : राजनीति में शुरुआत और शुरुआती संघर्ष
वीरेन्द्र सिंह राणा का राजनीतिक सफर 1980 के दशक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़ने के साथ शुरू हुआ। उन्होंने पार्टी के एक ज़मीनी कार्यकर्ता के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। दशकों तक संगठन में निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ काम करते हुए उन्होंने कार्यकर्ताओं के बीच विशेष पहचान बनाई।
संगठनात्मक कुशलता और मेहनत को देखते हुए वर्ष 2013 में उन्हें भाजपा ब्रज क्षेत्र का क्षेत्रीय संयोजक (Kshetriya Sanyojak) नियुक्त किया गया। इसके बाद 2014 में वे हाथरस जिले के भाजपा जिलाध्यक्ष (District President) बनाए गए।
संगठन से विधानसभा तक का सफर : वीरेन्द्र सिंह राणा
1 जुलाई 2016 को वीरेंद्र सिंह राणा को भाजपा उत्तर प्रदेश की राज्य कार्यकारिणी (State Executive Committee) में सदस्य के रूप में शामिल किया गया। यह नियुक्ति उस समय के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य द्वारा की गई थी। यह उनके संगठनात्मक अनुभव और पार्टी के प्रति समर्पण को प्रमाणित करता है।
2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वीरेंद्र सिंह राणा ने सिकंदराराऊ विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और विजयी हुए। पहली बार विधायक बनने के बाद उन्होंने क्षेत्र की समस्याओं के समाधान, सड़क, बिजली और शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर जनता का विश्वास जीता।
2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर उन्होंने सिकंदराराऊ सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए। उनके इस दो बार के विधायक बनने का राजनीतिक सफर बताता है कि जनता के साथ गहरा जुड़ाव और ज़मीनी मुद्दों पर काम करने से दीर्घकालिक जनसमर्थन प्राप्त किया जा सकता है।
सामाजिक जुड़ाव और जनसेवा की भावना
वीरेंद्र सिंह राणा का जीवन परिचय केवल राजनीतिक पदों और चुनावी सफलताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि वे हमेशा समाज के गरीब, दलित, और पिछड़े वर्गों के हित में कार्यरत रहे हैं। उन्होंने अपने गांव से शुरू होकर एक बड़ा सामाजिक आधार तैयार किया और राजनीति को जनसेवा का माध्यम माना।
उनकी सोच हमेशा यह रही है कि राजनीति सत्ता पाने का साधन नहीं, बल्कि समाज को ऊपर उठाने का जरिया होनी चाहिए। इसी सोच के साथ वह न केवल भाजपा संगठन के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी एक भरोसेमंद नेता बनकर उभरे।
वीरेंद्र सिंह राणा का राजनीतिक सफर और जीवन परिचय इस बात का प्रमाण है कि कोई भी व्यक्ति यदि ईमानदारी, मेहनत और सेवा भावना से आगे बढ़े, तो उसे समाज और राजनीति में सम्मान अवश्य प्राप्त होता है। एक गरीब किसान परिवार से उठकर दो बार विधायक बनना उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।
उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा में 403 सीटों पर विभिन्न जातियों और धर्मों के विधायकों का प्रतिनिधित्व
हाथरस ज़िला – विधानसभा चुनाव परिणाम 2022 Hathras Assembly Election Results 2022
विधानसभा सीट | विजेता उम्मीदवार | पार्टी | मिले वोट | उपविजेता उम्मीदवार | पार्टी | मिले वोट | जीत का अंतर |
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सादाबाद | प्रदीप सिंह | रालोद | 1,04,874 | रामवीर उपाध्याय | भाजपा | 98,437 | 6,437 मत |
सिकंदराराऊ | वीरेन्द्र सिंह राणा | भाजपा | 88,537 | डॉ. ललित बघेल | सपा | 83,007 | 5,530 मत |
हाथरस | अंजुला माहौर | भाजपा | 1,32,607 | संजीव कुमार | बसपा | 45,497 | 87,110 मत |