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MLA Political Journey

मिर्जापुर जिले की चुनार विधानसभा सीट से MLA अनुराग सिंह का राजनीतिक सफर (Anurag Singh Political Journey)

मिर्जापुर जिले की चुनार विधानसभा सीट से MLA अनुराग सिंह का राजनीतिक सफर (Anurag Singh Political Journey)

मिर्जापुर जिले की चुनार विधानसभा सीट से MLA अनुराग सिंह का राजनीतिक सफर (Anurag Singh Political Journey)

उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले में स्थित चुनार विधानसभा सीट (निर्वाचन क्षेत्र – 398) से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार अनुराग सिंह ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की। उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार जगदंबा सिंह पटेल को 62,228 मतों के अंतर से हराकर पहली बार विधायक का पद हासिल किया। यह जीत न केवल उनके राजनीतिक करियर (Anurag Singh Political Journey) के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, बल्कि उनके पिता और भाजपा के वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश सिंह की विरासत को आगे बढ़ाने का भी प्रतीक बनी।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

अनुराग सिंह का जन्म 24 अप्रैल 1971 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ। उनका परिवार राजनीतिक रूप से सक्रिय रहा है। उनके पिता, ओम प्रकाश सिंह, कल्याण सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। अनुराग ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में पूरी की और बाद में डीएवी कॉलेज, वाराणसी से बी.ए. की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से एमबीए किया।

राजनीतिक करियर की शुरुआत (Anurag Singh Political Journey)

अनुराग सिंह ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1989 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में स्वयंसेवक के रूप में की। 1990 में वे आरएसएस में “मुख्य शिक्षक” बने और बाद में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में शामिल हो गए। एबीवीपी में उन्होंने डीएवी इकाई के उपाध्यक्ष का पद संभाला। 2008 में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा की राज्य कार्य समिति के सदस्य बने।

2009 में अनुराग सिंह ने भाजपा के टिकट पर मिर्जापुर से संसदीय चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। हालांकि, इस हार ने उन्हें हतोत्साहित नहीं किया। 2010 में वे उत्तर प्रदेश भाजपा की राज्य कार्य समिति के सदस्य बने और पार्टी के भीतर अपनी पहचान बनाने लगे।

2017 विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत

2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अनुराग सिंह को चुनार विधानसभा सीट से भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया। इस चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार जगदंबा सिंह पटेल को 62,228 मतों के अंतर से हराया। यह जीत न केवल उनके लिए, बल्कि भाजपा के लिए भी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इससे पहले 2012 के चुनाव में उनके पिता ओम प्रकाश सिंह इसी सीट पर जगदंबा सिंह पटेल से हार गए थे।

चुनार विधानसभा क्षेत्र कुर्मी बाहुल्य इलाका है, जहां भाजपा का मजबूत प्रभाव रहा है। इस सीट से ओम प्रकाश सिंह पांच बार विधायक रह चुके हैं। 2017 के चुनाव में अनुराग सिंह (Anurag Singh Political Journey) ने न केवल अपने पिता की विरासत को बचाया, बल्कि भाजपा के प्रति जनता के विश्वास को भी मजबूत किया।

2022 विधानसभा चुनाव में दोबारा जीत (Anurag Singh Political Journey)

2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अनुराग सिंह ने एक बार फिर चुनार सीट से जीत दर्ज की। इस चुनाव में उन्हें 1,09,548 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंदी, अपना दल (कमेरावादी) और सपा गठबंधन के उम्मीदवार रमाशंकर प्रसाद पटेल को केवल 62,022 वोट मिले। अनुराग ने रमाशंकर को 47,526 वोटों के अंतर से हराया। यह जीत उनके राजनीतिक करियर (Anurag Singh Political Journey) को और मजबूती प्रदान करती है।

राजनीतिक आंदोलन और संघर्ष

अनुराग सिंह ने 1991 के राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। इस दौरान उन्होंने वाराणसी की कई दीवारों पर चित्र बनाए, जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस विरोध प्रदर्शन में रात 2 बजे सबसे पहले उन्हें गिरफ्तार किया गया था। यह घटना उनके राजनीतिक संघर्ष और समर्पण को दर्शाती है।

व्यक्तिगत जीवन

राजनीतिक योगदान (Anurag Singh Political Journey)

अनुराग सिंह ने मार्च 2017 में सत्रहवीं विधान सभा के सदस्य के रूप में पहली बार निर्वाचित होकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने चुनार सीट पर भाजपा का प्रभुत्व बनाए रखा और जनता के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई। उनका राजनीतिक सफर न केवल संघर्षों से भरा है, बल्कि यह उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और जनसेवा के प्रति समर्पण को भी दर्शाता है।

अनुराग सिंह का राजनीतिक सफर उनके परिवार की विरासत और उनके व्यक्तिगत संघर्ष का प्रतीक है। चुनार विधानसभा सीट से उनकी जीत ने न केवल भाजपा को मजबूती प्रदान की है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनके बढ़ते प्रभाव को भी दर्शाती है। उनकी सफलता की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है और यह दिखाती है कि मेहनत और समर्पण से कैसे बड़े मुकाम हासिल किए जा सकते हैं।

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