राजेश्वर सिंह का जन्म 11 मार्च, 1973 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था। उनके पिता रण बहादुर सिंह एक प्रतिष्ठित भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी थे, जिन्होंने राष्ट्रपति वीरता पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मान प्राप्त किया था। राजेश्वर सिंह का बचपन समृद्ध वातावरण और पारिवारिक मूल्यों से परिपूर्ण रहा।

उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा में 403 सीटों पर विभिन्न जातियों और धर्मों के विधायकों का प्रतिनिधित्व

उन्होंने भारतीय खनन विद्यालय, धनबाद (IIT Dhanbad) से खनन अभियांत्रिकी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम०ए०), कानून में स्नातक (एलएल०बी०) और मानवाधिकार तथा सामाजिक न्याय विषय पर शोध कर पीएच०डी० की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा के प्रति उनका दृष्टिकोण यह रहा है कि ज्ञान प्राप्ति की कोई उम्र नहीं होती और समय के साथ खुद को अपडेट करना जरूरी है।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

राजेश्वर सिंह के परिवार में प्रशासनिक सेवा का गहरा प्रभाव रहा है। उनकी पत्नी लक्ष्मी सिंह भी एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में आईजी रेंज, लखनऊ के पद पर कार्यरत हैं। उनके भाई रामेश्वर सिंह आयकर विभाग में आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं। उनकी दोनों बहनें भी उच्च पदस्थ अधिकारी रही हैं — आभा सिंह भारतीय डाक सेवा से अधिवक्ता बनीं और मीनाक्षी सिंह भारतीय राजस्व सेवा (IRS) की अधिकारी हैं।

राजेश्वर सिंह का प्रशासनिक जीवन

पुलिस सेवा में प्रारंभिक उपलब्धियां

राजेश्वर सिंह ने पुलिस सेवा में प्रवेश के बाद लखनऊ और आस-पास के क्षेत्रों में अपराध नियंत्रण में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपने साहसिक अभियानों के माध्यम से 30 से अधिक कुख्यात अपराधियों को गिरफ्तार कर कानून व्यवस्था में महत्वपूर्ण सुधार किया। संगठित अपराध पर कठोर प्रहार करते हुए उन्होंने अपराधियों के नेटवर्क को तोड़ने में सफलता पाई।

उनकी पहचान ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ के रूप में स्थापित हुई, जब उन्होंने राजनीति से जुड़े माफिया सरगनाओं पर भी सख्त कार्रवाई की। पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा संरक्षण प्राप्त अतीक अहमद जैसे माफियाओं के विरुद्ध कार्रवाई कर उन्होंने प्रदेश में कानून का डर स्थापित किया।

प्रवर्तन निदेशालय में कार्यकाल

2007 में राजेश्वर सिंह को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया और 2014 में उन्हें ईडी में स्थायी नियुक्ति मिल गई।
अपने लगभग 15 वर्षों के ईडी कार्यकाल में उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच की, जिनमें 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील, एयरसेल-मैक्सिस घोटाला, आम्रपाली समूह घोटाला और गोमती रिवरफ्रंट घोटाला प्रमुख रहे।

उन्होंने भ्रष्टाचार में लिप्त राजनेताओं, नौकरशाहों और माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करते हुए लगभग 4000 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की। उनके निष्पक्ष और दृढ़तापूर्वक किए गए कार्यों को उच्चतम न्यायालय ने भी सराहा और उनकी सेवा में स्थायीत्व प्रदान करने का निर्देश दिया।

मानवाधिकार और समाज सेवा में योगदान

राजेश्वर सिंह ने समाज में पुलिस और नागरिकों के बीच बेहतर संवाद स्थापित करने के लिए मानवाधिकारों पर शोध किया। उन्होंने अपने शोध पत्र “मानवाधिकार – पुलिस और सामाजिक न्याय” में पुलिस कर्मियों और आम जनता दोनों के अधिकारों पर जोर दिया। यह शोध सामाजिक विज्ञान की दृष्टि से पुलिस सेवा में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास रहा।

राजेश्वर सिंह का राजनीतिक सफर

राजनीति में प्रवेश

31 जनवरी, 2022 को राजेश्वर सिंह ने प्रवर्तन निदेशालय से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेकर सक्रिय राजनीति में कदम रखा। कुछ समय बाद वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लखनऊ की सरोजनीनगर विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया।

राजेश्वर सिंह : विधानसभा चुनाव और जीत

मार्च 2022 में राजेश्वर सिंह ने पहली बार चुनाव लड़ा और भारी बहुमत से विजय प्राप्त कर अठारहवीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। उनकी प्रशासनिक सेवा में पारदर्शिता और कठोर कार्रवाई की छवि ने जनता में उनका गहरा विश्वास स्थापित किया, जो उनके राजनीतिक सफर की मजबूत नींव बनी।

राजनीतिक योगदान और भविष्य की दिशा

राजेश्वर सिंह ने राजनीति में आने के बाद प्रशासनिक अनुभव का भरपूर उपयोग करते हुए स्थानीय समस्याओं के समाधान की दिशा में काम शुरू किया। अपराध नियंत्रण, विकास कार्यों और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन को बढ़ावा देना उनके प्रमुख एजेंडे में शामिल रहा है।

राजनीतिक सफर में भी उनका लक्ष्य समाज के वंचित और कमजोर वर्गों को न्याय दिलाना और विकास कार्यों को गति देना है। प्रशासनिक सेवा में अर्जित अनुभव का लाभ उठाकर वे एक कुशल और ईमानदार जनप्रतिनिधि के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।

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