Naseem Solanki Political Journey : उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में कानपुर की सीसामऊ सीट पर समाजवादी पार्टी (सपा) ने नसीम सोलंकी को उम्मीदवार घोषित किया है। नसीम सोलंकी, पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी और हाजी मुश्ताक सोलंकी की बहू हैं। इरफान सोलंकी, जो इस सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं, वर्तमान में कानूनी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जिसके कारण उनकी विधायकी खत्म हो गई। इसी कारण से सीसामऊ सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं, और सपा ने नसीम सोलंकी को प्रत्याशी बनाया है।
इरफान सोलंकी को जाजमऊ आगजनी मामले में कोर्ट ने 7 साल की सजा सुनाई है, जिससे उनकी विधायकी चली गई। अब उनकी पत्नी नसीम सोलंकी पर इस राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने नसीम सोलंकी के नाम पर पहले ही मुहर लगा दी थी, और अब वह इस उपचुनाव में सीसामऊ सीट से सपा की प्रत्याशी होंगी।
नसीम सोलंकी का यह चुनाव सिर्फ एक पारिवारिक जिम्मेदारी ही नहीं है, बल्कि सोलंकी परिवार की राजनीतिक प्रतिष्ठा को बनाए रखने का प्रयास भी है। इरफान सोलंकी ने सीसामऊ सीट से लगातार तीन बार जीत हासिल की थी, और अब नसीम सोलंकी अपने पति की राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए मैदान में उतरी हैं।
नसीम सोलंकी का राजनीतिक सफर Naseem Solanki Political Journey
नसीम सोलंकी एक घरेलू महिला रही हैं, लेकिन उनकी शादी एक राजनीतिक घराने में होने के बाद उनके जीवन में राजनीति की एक अप्रत्यक्ष भूमिका रही। हालांकि, उन्होंने खुद कभी किसी राजनीतिक गतिविधि में सक्रिय रूप से भाग नहीं लिया था। उनका जीवन मुख्य रूप से अपने परिवार और बच्चों की देखभाल पर केंद्रित था। लेकिन नवंबर 2022 में आगजनी के मामले में उनके पति इरफान सोलंकी के जेल जाने के बाद, नसीम को एक नई चुनौती का सामना करना पड़ा।
इरफान सोलंकी के जेल जाने के बाद, नसीम सोलंकी ने अपने परिवार की जिम्मेदारियों को निभाया। बच्चों की पढ़ाई, घर की देखभाल, कोर्ट-कचहरी के मामले, और कानपुर से लेकर महाराजगंज जेल तक की यात्राओं में उन्होंने खुद को मजबूती से प्रस्तुत किया। इस कठिन समय में उन्होंने न केवल पारिवारिक मोर्चा संभाला, बल्कि कानूनी और प्रशासनिक चुनौतियों का भी साहसिक तरीके से सामना किया।
अब जब उन्हें समाजवादी पार्टी ने सीसामऊ सीट से उम्मीदवार बनाया है, यह उनके लिए एक नया अध्याय है। राजनीतिक अनुभव न होने के बावजूद, नसीम सोलंकी ने जिस धैर्य और साहस का परिचय दिया है, वह यह दर्शाता है कि वह अब इस भूमिका में भी पूरी मजबूती से उतरने के लिए तैयार हैं। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने पति इरफान सोलंकी की राजनीतिक विरासत को संभालने और सीसामऊ सीट पर सपा की पकड़ बनाए रखने की होगी।
राजनीति में प्रवेश
नसीम सोलंकी ने घरेलू महिला के रूप में अपने परिवार का संचालन किया, लेकिन पति की गैरमौजूदगी में उन्होंने परिवार और राजनीतिक विरासत को संभालने का निर्णय लिया। सपा ने उन्हें सीसामऊ उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया, जहां उन्होंने जीत हासिल की।
सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र के उप चुनाव में नसीम सोलंकी ने विपरीत परिस्थितियों में भी 8,629 वोटों से जीत हासिल कर पति इरफान सोलंकी की सीट को बचा लिया।
नसीम अपने पहले ही चुनाव में जीत गईं। सीसामऊ सीट से लगातार तीन बार जीत हासिल करने वाले सपा के इरफान सोलंकी को सजा सुनाए जाने के बाद इस सीट पर उप चुनाव हुआ। समाजवादी पार्टी ने इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को प्रत्याशी बनाया था।सीसामऊ में पिछले कई चुनाव की तरह उप चुनाव भी काफी करीबी संघर्ष वाला रहा। सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी ने शुरुआती चक्र से ही भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी पर बढ़त बना ली थी। स्थिति यह थी कि नौवें चक्र तक ही नसीम सोलंकी ने 30,697 वोटों की बढ़त हासिल कर ली थी। हालांकि इसके बाद 10वें चक्र से सुरेश अवस्थी ने संघर्ष करते हुए कुछ चक्रों में आगे रहने का प्रयास किया लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। आखिरकार कुल 1,32,973 वोटों में से नसीम सोलंकी ने 69,666 वोट हासिल कर सुरेश अवस्थी को पराजित कर दिया।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की दिशा
विधायक बनने के बाद, नसीम सोलंकी ने क्षेत्र के विकास और जनता की समस्याओं के समाधान के लिए कार्य करने का संकल्प लिया है। उनका राजनीतिक सफर सोलंकी परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने और सीसामऊ की जनता की सेवा करने की दिशा में अग्रसर है।