राम मंदिर पर सुलह का फॉर्मूला सुझाने वाले मौलाना सलमान नदवी को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है. सलमान नदवी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का समर्थन किया था और मस्जिद को दूसरी जगह शिफ्ट करने का फॉर्मूला सुझाया था, इस प्रस्ताव के बाद से ही बोर्ड उनसे नाराज था. हैदराबाद में बोर्ड की तीन दिवसीय बैठक के दौरान यह फैसला लिया गया. नदवी बोर्ड के एग्जीक्यूटिव सदस्य थे लेकिन मीटिंग में न आकर उन्होंने श्री श्री रविशंकर से मुलाकात की.
फिर लगा अयोध्या विवाद में सुलह की कोशिशों को झटका
माना जा रहा है कि मौलाना सलमान नदवी के खिलाफ AIMPLB की कार्रवाई से कोर्ट के बाहर राम मंदिर विवाद को सुलझाने की कोशिश को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, शुक्रवार को AIMPLB की बैठक से पहले मौलाना सलमान नदवी ने राम मंदिर निर्माण को लेकर एक प्रस्ताव रखा था. इसमें उन्होंने बातचीत कर अयोध्या विवाद सुलझाने और मस्जिद के लिए कहीं और जमीन लेने का प्रस्ताव दिया था. नदवी के इस बयान के बाद काफी विवाद हुआ था.
सुलह की कोशिशों के बीच सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई
राम जन्मभूमि विवाद पर आज से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई होनी थी. सुप्रीम कोर्ट में दोपहर 2 बजे सुनवाई शुरू हो गई थी. इसके पहले कोर्ट ने कहा था कि अब अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मुकदमें की सुनवाई रोजाना सुप्रीम कोर्ट में होगी. इसके लिए हिंदू और मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने तैयारी पूरी कर ली है. 2.77 एकड़ भूमि का ये विवाद राजनीतिक अखाड़े का केंद्र भी है. इसके इर्द-गिर्द देश की राजनीति घुमती रही है. इसके पहले कोर्ट ने कहा था कि 8 फरवरी के बाद सुनवाई नहीं टलेगी. सबसे पहले ओरिजनल टाइटल सूट दाखिल करने वाले दलीलें रखेंगे, फिर बाकी अर्जियों पर बात होगी. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि इसे भूमि विवाद की तरह ही देखा जाये. अनुवाद अधूरा होने के कारण फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 14 मार्च को सुनवाई के लिए टाल दिया है.
अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में हो रही है सुनवाई:
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अबतक दायर मुख्य याचिकाओं की होगी सुनवाई.
- बाकी याचिकाकर्ताओं की सुनवाई बाद में होगी
- अब कोई पक्षकार नहीं जोड़ा जायेगा.
- केस से जुड़े मृत लोगों के नाम हटाये जायेंगे.
- हाशिम अंसारी का नाम हटाया जायेगा.
- गीता और वाल्मीकि रामायण के अंश अंग्रेजी में अनुवाद करें.
- केस से जुड़े मृत लोगों के नाम हटाये गए.
- राजनीतिक और भावनात्मक दलीलें नहीं सुनी जाएंगी.
- ये जमीन का मामला, तर्क के आधार पर होगी सुनवाई.
- दस्तावेजों का अनुवाद 2 हफ्ते में कोर्ट में जमा करें.
- यूपी सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- मामले में कुल 504 सबूत और 87 गवाह हैं.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, क़ानूनी दलीलों के आधार पर होगी सुनवाई
- सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से एज़ाज मकबूल ने कोर्ट में कहा है- अभी दस्तावेज़ का अनुवाद पूरा नहीं हुआ है, जिन्हें सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश किया जाना है.
- अभी दस किताबें और दो वीडियो कोर्ट के सामने पेश किए जाने हैं. 42 हिस्सों में अनुवादित दस्तावेज कोर्ट में जमा किए जा चुके हैं