इन दिनों स्वास्थ्य ख़राब होने के चलते स्वास्थ्य लाभ ले रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली सोशल मीडिया के जरिए विपक्ष को निशाना बनाये हुए है. वह कई मुद्दों पर लगातार लिख रहे हैं जिसमें सरकार की नीति का बचाव करते हुए विपक्ष पर सवाल दाग रहे हैं। लेकिन अब उन्होंने बिना नाम लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, जशवंत सिन्हा और पी. चिदंबरम सहित कई अर्थशास्त्रियों को जवाब दिया है। वित्त मंत्री ने कहा है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में चौथी तिमाही में 7.7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। जिससे यह दुनिया की तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बन गई है।
नौकरियों को लेकर अरुण जेटली ने लिखा ब्लॉग:
जहां एक तरफ अर्थव्यवस्था का इतनी तेजी से बढ़ना अच्छी खबर है, वहीं बहुत से ऐसे लोग हैं जो जानना चाहते है कि आखिर नौकरी कहां हैं? इस सवाल का जवाब तो सरकार के पास भी नहीं है। यह सच है कि जीडीपी बढ़ने के बावजूद भी नौकरियों के बाजार में इस समय नौकरियां मौजूद नहीं है. ऐसे में भारत जैसे देश में नौकरियों को लेकर चिंता करना लाजमी है.
An analysis of data clearly shows that the construction sector is expanding by double digits. It is a job creating sector. Investment is increasing. Domestic investment is also increasing. The FDI is at an unprecedented level. The IBC is unlocking the value in the NPAs.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) June 18, 2018
इस सवाल का जवाब देने के लिए अरुण जेटली ने फेसबुक पर ब्लॉग लिखा है। उन्होंने लिखा, ‘एक विश्लेषण साफ तौर पर दिखाता है कि कंस्ट्रक्शन सेक्टर में दोगुनी वृद्धि हुई है। यह नौकरी पैदा करने वाला सेक्टर है।
इन सेक्टरों में रोजगार:
घरेलू निवेश भी बढ़ रहा है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गया है। अयोग्यता और दिवालिया अधिनियम (आईबीसी) आजकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति को कम कर रहा है।
स्थायी पूंजी के गठन में इजाफा हुआ है। विनिर्माण का विस्तार हो रहा है। हम ढांचागत संरचनाओं को बनाने के लिए बहुत बड़ी राशि खर्च कर रहे हैं। ग्रामीण परियोजनाओं पर खर्च भी बढ़ाया गया है।’
जेटली ने आगे लिखा, ‘सामाजिक क्षेत्र की योजनाएं खासतौर से वित्तीय समावेश कार्यक्रम ने स्वरोजगार की लहर को पैदा किया है। इनमें से प्रत्येक एक उच्च नौकरी पैदा करने वाला क्षेत्र है। नरेंद्र मोदी सरकार 2019 के चुनाव से पहले उच्चतम आर्थिक वृद्धि करने के लिए प्रतिबद्ध है।’
10 मिलियन नौकरियों का किया था वादा:
आपको बता दें कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने से पहले ही उन्होंने युवाओं से वादा किया था कि वह 10 मिलियन नौकरियां पैदा करेंगे।
लेकिन इन चार सालों के बाद भी यह साफ नहीं हुआ कि देश में कितनी नौकरियां पैदा हुईं है. जबकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर साल 1.2 मिलियन भारतीयों को नौकरी की जरूरत होती है।
अपने पोस्ट में जेटली ने यूपीए सरकार के कार्यकाल को पॉलिसी पैरालिसिस बताते हुए एनडीए सरकार में बदलावों का जिक्र भी किया है।