नरोदा पाटिया दंगा मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने पूर्व मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया है. वहीँ पूर्व नेता बाबू बजरंगी की आजीवन कारावास कि सज़ा को कायम रखा है. गुजरात में फ़रवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में आग लगा देने के बाद पूरे राज्य में आक्रोश का माहौल हो गया. जिसके बाद अगले ही दिन नरौदा पाटिया क्षेत्र में 96 लोगों को जिन्दा जला दिया गया था.

कई अपराधी हुए थे बरी

नरोदा मामले में माया कोडनानी, बाबू बजरंगी समेत 32 लोगों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गयी थी. न्यायमूर्ति हर्षा देवानी और न्यायमूर्ति ए एस सुपेहिया की पीठ ने मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद पिछले साल अगस्त में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

सुबूतों के अभाव के चलते निचली अदालत ने 32 आरोपियों को बरी कर दिया था. मालूम हो जिसके लिए तथाकथित आरोपियों ने कोर्ट को चुनौती दी थी और सुबूत न होने के कारण अदालत ने उन सभी को बरी किया था.

इस मामले से जुड़े एक प्रारंभिक गवाह 60 वर्षीय दिलवर सैयद ने कहा, “उस खौफनाक मंजर के बारे में सोचते हुए मैंने 10 साल गुजार दिए. पाटिया में मैंने जो कुछ देखा उसे कभी भुला नहीं सकता। इस फैसले से मुझे पूरा तो नहीं, थोड़ा सुकून जरूर मिला है। उसने रुंधे हुए गले से कहा, “कम से कम 100 परिवार बर्बाद हो गए.”

क्या है नरोदा पाटिया मामला?

27 फरवरी,2002 को गुजरात के गोधरा इलाके में भीड़ ने ट्रेन को आग के हवाले कर दिया. जिससे पूरे देश और गुजरात राज्य मे आक्रोश का माहौल था. इस काण्ड के बाद विश्व हिन्दू परिषद् ने बंद की मांग करी उसी दौरान नरोदा पाटिया इलाके में हिंसक भीड़ ने लोगो पर हमला कर दिया. जिसमे कई सारे अल्पसंख्यक जन मारे गए. और 11 मुस्लिम लोगो ने भी अपनी जान गवा दी.

इस मामले मे मुख्य रूप से पूर्व राज्य बाल कल्याण मंत्री माया कोडनानी पर जनसैलाब को भड़काने का आरोप लग था और मंत्री बाबू बजरंगी पर भी इस नरसंहार के कई आरोप लगे थे.

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