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व्यंग्य: अच्छा हुआ ‘ऑस्कर वाली गलती’ भारत में नहीं हुई, नहीं तो…

पूरी दुनिया ऑस्कर अवॉर्डस के इंतजार में अपनी सासें थाम कर बैठी थी। लॉस एंजेलिस डॉल्बी थिएटर में आज सुबह (भारत के टाईम के मुताबिक) करीब 5.30 बजे ऑस्कर अवॉर्डस की घोषणा शुरू हुई। इस बीच ऑस्कर अवॉर्डस में एक बहुत बड़ी गलती हुई। जो थी गलत ‘बेस्ट फिल्म के नाम की घोषणा’। ऑस्कर और हॉलीवुड ने इस गलती को बड़ी शालीनता से पचा लिया, लेकिन जरा इसे भारत के संदर्भ में सोचकर देखिए। जहां शाहरुख, आमिर और सलमान खान के फैन बात-बात पर बवाल खड़ा कर देते हैं। बॉलीवुड में एक महाशय ऐसे भी है जो अवॉर्ड शो को अपने लायक ही नहीं समझते, और किसी में अवॉर्ड  मिलने न मिलने का गुरूर खैनी की तरह ठोक-ठोक कर भरा हुआ है।

अब जरा सोचिये ये पूरा बवाल भारत में हुआ होता तो क्या होता तो…

भारत में आईफा या फिल्म फेयर जैसे बड़े अवॉर्ड में इस तरह की गलती ही पूरे बॉलीवुड जगत को बरूद के ढेर पर रखकर आग लगाने जैसी गलती होती। शायद इस तरह की गलती करने वाले होस्ट से लेकर अवॉर्ड शो आयोजित करने वाली समिति को जन्मों जन्मान्तर इसका फल भोगना पड़ता। मीडिया तो छोड़िये जनाब बॉलीवुड जगत के ही कुछ तिरंदाज अपने ज्ञान की गगरी लेकर ट्वीटर, फेसबुक से लेकर सोशल मीडिया पर जंग छेड़ चुके होते। जब बिना कुछ किए स्टार भारत में अवॉर्ड न मिलने पर इसे बिका हुआ करार दे देते है, तो ऐसी गलती पर तो मानिये फांसी की सजा तय थी!

बॉलीवुड स्टार से बचने से पहले तो होस्ट और आयोजन समिति को उस टीम से दो-चार हाथ करने पड़ जाते, जिसका नाम गलती से लिया गया होता। क्योंकि गलती से हमारा किसी पर दिल आ जाए तो हम तो उसे अपनी बपौती ही मान बैठते है। फिर यहां तो अवॉर्ड की बात है भाई।

अगर बेचारा होस्ट और समिति बॉलीवुड से बच भी जाता तो प्रशंसकों के चंगुल से बचकर कैसे जाता। इस जगह पर तो उनका टेटुआ ही दबा दिया जाता, अरे भाई स्टार होगा स्टार लेकिन उससे बड़े तो प्रशंसक है न। काहे भूल जाते है कि स्टार के भाव असमान में पहुंचाने का श्रेय इन्ही प्रशंसको को जाता है। अब प्रशंसक है तो इतना हक तो बनता ही है कि ये दिल जला, होस्ट और आयोजकों से भिड़ जाए। ठीक है नहीं मिलोगें आमने-सामने लेकिन सोशल प्लेटफॉर्म से बचकर कहां जाओगे। कभी न कभी तो यहां आना ही पड़ेगा, फिर ले भाई गाली पे गाली, वो भी ऐसी वाली की कान से खून न आ जाए तो बोलना। इतना तो मान लीजिए की इस गलती की सजा होस्ट और आयोजन समिति को काले पानी से कम न होती। अगली बार होस्ट अपनी जान हथेली पर रखकर जंग ए स्टेज पर उतरता

इसके बाद होस्ट और समिति में अगर कुछ जान बची होती तो शायद मीडिया जगत उसे न छोड़ता। फिर तो जान लीजिए मामला कोर्ट में पहुंच कर खारिज भी हो जाता, लेकिन मीडिया जगत में ट्रायल सालों-साल चलता रहता। फिर इस बेचारे होस्ट और समिति को मानो अपनी आधी लूट चुकी इज्जत को बचाकर छूप-छूप ही रहना पड़ा।

पूरा मामला

हॉलीवुड के सबसे बड़े ऑस्कर अवॉर्ड में इतनी बड़ी गलती की बात किसी ने नहीं सोची होगी। स्टेज पर अवॉर्डस की घोषणा कर रहे वॉरेन बेट्टी और फेय डुनावे ने यह गलती कर दी। इन्होंने ‘ला ला लैंड’ का नाम बेस्ट फिल्म के लिए घोषित कर दिया। इसके बाद ‘ला ला लैंड’ की पूरी टीम स्टेज पर आ गई। लेकिन अचानक एक प्रोड्यूसर जॉर्डन होरोवित्ज इस बात का एहसास हुआ कि लिफाफे में नाम ‘मूनलाईट’ का है। हालांकि उन्होंने तुरंत इसे एक गलती बताते हुए ‘मूनलाईट’ की टीम को अवॉर्ड सौंप दिया।

(ज्ञान तो लेते जाओ: हॉलीवुड में हुई इस गलती से सबको सबक लेने की जरूरत है। हर गलती को बवाल से ही नहीं शांति से भी सुलझा सकते हैं।)

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