छूटे खूब पटाखे ।
आदेश रहा बेअसर ।।
जमकर आतिशबाज़ी ।
कर गये गाँव-शहर ।।
उड़ा डाली धज्जियाँ ।
रोक ना पाये जोश ।।
लगा डाली शर्त ।
प्रतिबंध पर आक्रोश ।।
भावना में बह गये ।
हुआ प्रदूषण गौड़ ।।
माचिस और पटाखे ।
किये रातभर दौड़ ।।
कृष्णेन्द्र राय
Krishnendra Rai
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