2019 के लोकसभा चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी ने तैयारी शुरू कर दी है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठकें करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा बसपा से गठबंधंन के तहत प्रत्याशियों के नाम का चयन का सिलसिला भी शुरू हो गया है। इस बीच उत्तर प्रदेश की 1 लोकसभा सीट ऐसी है जहाँ पर प्रत्याशी बनने के लिए समाजवादी पार्टी के 2 बड़े नेताओं के बीच जंग छिड़ गयी है। दोनों ही नेता लोकसभा सीट पर दावा कर रहे हैं जिससे पार्टी संगठन की मुश्किलें बढ़ गयी हैं।
नेताओं ने डाला लखनऊ में डेरा :
अलीगढ़ में लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। चुनावों के कारण पार्टी संगठन में बदलाव किया जा रहा है। समाजवादी पार्टी में भी संगठन स्तर पर बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। इस बदलाव में कई नेताओं को को अच्छे पद मिलने की उम्मीदें हैं। संगठन में जगह बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर दावेदारों ने लखनऊ में डेरा डालना शुरू कर दिया है। हाल ही में दो पूर्व विधायक लखनऊ से लौटे हैं। सपा में सोशल इंजीनियरिंग पर ध्यान दिया जा रहा है। पार्टी स्तर पर प्रस्ताव रखा गया है कि यादव और मुस्लिम के अलावा अन्य जातियों को संगठन में तरजीह दी जाए। इसमें जिला और महानगर स्तर पर पदाधिकारी शामिल हैं।
ज्यादा फायदे का नहीं है सौदा :
समाजवादी पार्टी का अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा क्षेत्र के आधार पर संगठन खड़ा किया जाएगा। हाईकमान के इस फैसले की भनक लगते ही वरिष्ठ कार्यकर्ता सक्रिय हो गए। इसमें कुछ पूर्व विधायक भी शामिल हैं। दो पूर्व विधायकों में अपने-अपने समर्थकों को पद दिलाने के लिए जंग शुरू कर दी है। इसके अलावा इनमें लोकसभा चुनाव में टिकट हासिल करने के लिए भी जंग शुरू हो गयी है। जिले में 2017 विधानसभा चुनाव के बाद महानगर अध्यक्ष पद पर बदलाव हो चुका है। सैयद जावेद अजीज को महानगर अध्यक्ष बनाया गया है। राजनीतिज्ञों के अनुसार, लोकसभा चुनाव के नजरिए से यहां की सीट सपा के लिए बहुत ज्यादा सुरक्षित नहीं रही है। ऐसे में संभव है कि गठबंधन के तहत इसे बसपा को दे दिया जाये।