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भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के बारे में अक्सर ही हमें कहीं न कहीं जानकारी होती ही रहती है। 1968 में गठित हुई रॉ आज दुनिया की सबसे विश्वनीय खुफिया एजेंसियों में से एक है। रॉ का गठित करने का मुख्य उद्देश्य पडोसी देशों पर निगरानी रखना और देश को बाहरी हमलों से बचाना था। जिसके लिए रॉ ने ऐसे बहुत से खुफिया ऑपरेशन को भी अंजाम दिया हैं जिसकी आजतक लोगों को कोई जानकारी नहीं है। हम यहाँ आपको रॉ के 5 ऐसे ही सबसे खुफिया ऑपरेशन बता रहे हैं, जिन्हें जानकर आप समझ सकते हैं कि देश को बाहरी हमलों से सुरक्षित बनाये रखने में रॉ का कितना बड़ा योगदान रहा है।
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1. ऑपरेशन मेघदूत:
1984 में, रॉ ने एक महत्वपूर्ण सूचना को ट्रेस किया जिसमें पता चला कि पाकिस्तान सियाचीन ग्लेशियर में घुसपैठ करने की तैयारी कर रहा है। इस जानकारी के मिलने के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना से लोहा लिया और सियाचीन ग्लेशियर पर नियंत्रण करने के लिए ऑपरेशन मेघदूत की शुरुआत की। इस ऑपरेशन बाद से आजतक यह स्थान का भारत के नियंत्रण में है।
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2. द स्नैच ऑपरेशन्स:
यह रॉ के ऐसे अहम और खुफिया ऑपरेशन में से एक है, जिसकी जानकरी लोगों को तब हुई जब खोजी पत्रिका The Week ने इसके बारे में रिपोर्ट को प्रकाशित किया। The Week की इस रिपोर्ट में बताया गया कि रॉ और आईबी ने मिलकर इस ऑपरेशन के जरिये तिब्बत, नेपाल और भूटान में लश्कर के कई आतंकवादियों को पकड़ा था। इस ऑपरेशन में रिक महमूद जैसे उन आतंकवादियों को भी पकड़ा गया था जो 26/11 मुंबई हमले में शामिल बताये गए थे।
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3. स्माइलिंग बुद्धा ऑपरेशन:
18 मई 1974 के दिन राजस्थान में भारत का पहला परमाणु बम परीक्षण किया गया था, जिसके बाद ही भारत परमाणु शक्ति संपन्न देश बना था। पोख़रण में हुए इस गोपनीय परीक्षण को ‘स्माइलिंग बुद्धा’ का नाम दिया गया था। इस खुफिया मिशन की गोपनीयता बनाए रखने में रॉ ने एक अहम भूमिका निभाई थी। यह मिशन कितना गुप्त रखा गया था, इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चीन और अमेरिका जैसे देशों को भी इस मिशन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
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4. ऑपरेशन चाणक्य:
ऑपरेशन चाणक्य रॉ द्वारा कश्मीर में किये गए सबसे महत्वपूर्ण मिशन से एक है। अलगाववादी समूहों और आतंकवादियों पर लगाम लगाने में इस ऑपरेशन का बहुत बड़ा योगदान रहा। इस ऑपरेशन में रॉ ने आईएसआई और अलगाववादी समूहों के बीच संबंधों को उजागर किया था। इस ऑपरेशन की वजह से कश्मीर में आतंकवाद को निष्क्रिय किया गया और शांति बहाल हुई। साथ ही हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन और अन्य आतकीं संगठनों के बीच फुट डालने में भी यह ऑपरेशन पूरी तरह से कामयाब रहा।
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5. रविन्द्र कौशिक उर्फ़ ‘द ब्लैक टाइगर’- ऐसे जासूस जो पाकिस्तानी सेना में मेजर रहे!
रविन्द्र कौशिक अपने शुरूआती दिनों में एक बेहतरीन थियेटर आर्टिस्ट हुआ करते थे। 23 साल की उम्र में रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग)द्वारा चुने जाने के बाद रविन्द्र को दिल्ली में जासूस की ट्रेनिंग दी गई। नबी अहमद शाकिर नाम से पाकिस्तान की नागरिकता लेने के बाद उन्होंने कराची यूनिवर्सिटी में एलएलबी की पढ़ाई की। पढ़ाई ख़त्म करने के बाद नबी पाकिस्तानी फ़ौज में शामिल हो गए। कुछ ही समय बाद पाकिस्तानी सेना में उन्हें मेजर रैंक के लिए प्रमोट किया गया। नबी ने वर्ष 1979 से 1983 के बीच पाकिस्तानी सेना और सरकार के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ भारत भेजीं। सीमा पार से जानकारी पहुंचाने की वजह से उन्हें ‘द ब्लैक टाइगर’ नाम दिया गया था।
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