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एक माँ का सपना, मैरीकॉम जैसी बॉक्सर बने उसकी बेटी

भारत में आज भी बेटियाँ को बोझ समझा जाता है. आज भी हमारे देश में लड़कियों को लड़कों से कमतर आँका जाता है. आज भी ऐसी मान्यता है कि बेटियों को चूल्हा-चौका सीखना चाहिए क्योंकि उन्हें शादी कर दूसरे घर जा कर यही सब करना है. ऐसे लोगों को नीलम से कुछ सीखना चाहिए जो अपनी बेटी को मैरीकॉम जैसी बॉक्सर बनाने में कोई कसर नही छोड़ना चाहती है.

जज्बे के आगे नहीं आने दी गरीबी-

NIKITA

स्वर्ण पदक विजेता हैं निकिता-

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