भारतीय सेना को जल्द ही नेक्स्ट जनरेशन राइफल मिलने की सम्भावना है। लेकिन इस मसले को लेकर सेना के बड़े पदाधिकारियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। सेना के अधिकारी इस बात पर डिबेट कर रहे हैं कि, सेना के पास कौन सी गन होगी।
25 से 30 अप्रैल में होगी फिर चर्चा:
- सेना को लड़ाई के लिए कौन सी गन दी जाये इस पर बहस का अगला पड़ाव 25 से 30 अप्रैल को होगा।
- सूत्रों के मुताबिक, “चर्चा का प्रमुख विषय सेना को 5.56 एमएम राइफल दी जाये या 7.62 एमएम”।
- राइफल प्रोजेक्ट के लिए 4850 करोड़ रुपये का बजट दिया गया था, जिससे इंटरचेंजेबल बैरल वाली राइफल की खरीद कर उनका इस्तेमाल लड़ाई या मुठभेड़ के दौरान किया जा सके।
- लेकिन इस प्रोजेक्ट को पिछले साल रद्द कर दिया गया था।
5.56एमएम या 7.62एमएम?:
- भारतीय सेना में यह बहस बनी हुई है कि, सेना को 5.56 एमएम राइफल दी जाये या 7.62 एमएम वाली राइफल।
- 56 एमएम राइफल गन लड़ाई के लिए बिलकुल सही गन है, ये गन जख्मी करती है, वहीँ 7.62 एमएम राइफल की गोली लगने के बाद इंसान के बचने की उम्मीद न के बराबर होती है।
- आतंकियों से मुठभेड़ के लिए इनका इस्तेमाल होता है, हालाँकि देश के जवान 7.62 एमएम राइफल को ही प्राथमिकता देते हैं, जिसकी वजह इस गन की मारक क्षमता का ज्यादा होना है।62 से ज्यादा समय तक फायर कर सकते हैं।
- इसके बाद सेना के जवानों की पसंद भारत में ही निर्मित इंसास 5.56 एमएम है।
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