आज शनिश्चरी अमावस्या है। हिंदू पंचाग के अनुसार आषाढ़ महीने की अमावस्या बहुत ही महत्वपूर्ण अमावस्या होती है। इस बार शनिवार के दिन पड़ने के कारण ये और भी शुभ है। गौरतलब है कि शनिवार के दिन अमावस्या का आना 10 साल बाद दुर्लभ संयोग बना है। शनिवार के दिन के पड़ने के कारण इसे शनि अमावस्या या शनिश्चरी अमावस्या कहते हैं।
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शनिश्चरी अमावस्या का दुर्लभ संयोग :
- आज का अमावस्या बहुत ही दुर्लभ संयोग है, जो 10 सालों के बाद पड़ा है।
- इससे पूर्व शनिश्चरी अमावस्या का ये संयोग 2007 में बना था।
- और आगे भविष्य में 17 साल बाद यानी 2034 में ये योग दोहराया जाएगा।
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शनिश्चरी अमावस्या का महत्व :
- शनिवार के दिन अमावस्या का पड़ना कई कारणों से काफी जरुरी होती है।
- शनि ग्रह को सीमा ग्रह भी कहा जाता है, क्योंकि मान्यता के अनुसार जहां पर सूर्य का प्रभाव खत्म हो जाता है वहीं से शनि का प्रभाव शुरू होता है।
- इस दिन तीर्थ पर स्नान, दान करने से बहुत ही पुण्य की प्राप्ति होती है।
- बता दें कि हर माह की अमावस्या श्राद्ध की अमावस्या कही जाती है।
- इसलिए इस दिन पितरों के लिए अर्पण किया गया दान अगर ब्राह्मण को दिया जाए तो यह बहुत शुभ होता है।
- इस बार शनिवार पड़ जाने के कारण इसका महत्व और बढ़ गया है।
शनि दोष को ऐसे करें दूर :
- आज के दिन पीपल की पूजा करना अति फलदायी होता है।
- अगर आपकी कुंडली में शनि दोष है तो पीपल की पूजा करें, क्योंकि पीपल में भगवान विष्णु का स्थान माना जाता है।
- शनिवार के दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करे फिर सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
- फिर पीपल के वृक्ष के पास जाकर उसका जड़ पर चंदन, केसर, पुष्प, चावल मिलाकर जल चढ़ाए।
- इसमें से कुछ जल को बचा ले, जो घर ले जाकर छिड़क दें, इससे आपका घर शुद्द हो जाएगा।
- इसके बाद तेल का दीपक जलाकर इस मंत्र का जाप करें।
आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्।
देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
विश्वाय विश्वेश्वराय विश्वसम्भवाय विश्वपतये गोविन्दाय नमो नम:। या फिर शनि स्त्रोत को पढ़े- ऊं शं शनैश्चराय नम:
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