दिल्ली में ऑटो चालक हड़ताल कर रहे हैं। उनका कहना है कि उबर और ओला की टैक्सी सर्विस बंद की जाए क्योंकि ये एप्प बेस्ड टैक्सी सर्विस कम किराया ले रहे हैं। ऑटो चालकों का कहना है कि कम किराया होने के कारण ऑटो की सवारी कोई नहीं करना चाहता है।
ऑटो चालकों के इस तरह से सवाल उठाने पर हर कोई हैरान है क्योंकि एप्प बेस्ड टैक्सी सर्विस बंद करना इसका समाधान नहीं है और ये बात ऑटो चालकों को समझनी होगी कि इस प्रकार से मार्केट में कोई भी सस्ती और नई चीज आने के बाद पुरानी चीज पर असर पड़ता है और कभी-कभी पुरानी चीजें आउटडेटेड लगने लगती हैं क्योंकि आम आदमी वही चीज लेना चाहता है जो उसे सुविधा जनक और सस्ते में मिल रहा हो।
आम जन को नहीं फ़िक्र
खास बात ये है कि ऑटो चालकों की इस लड़ाई में आम आदमी भागीदार नहीं बन रहा है, जो कि एक बड़ा प्रश्न है क्योंकि ऑटो चालकों का रवैया इस प्रकार का नहीं रहा कि आम आदमी उनकी हिमायत कर सके। दिल्ली जैसे शहर में ऑटो चालकों द्वारा मनमानी किराया वसूलना और बिना मीटर के ऑटो चलाना आम आदमी को नागवार गुजरता है। ये ऑटो चालक मीटर ना चलाने को लेकर झगड़ा करने पर उतारू भी हो जाते हैं। ऐसे में आम आदमी किस प्रकार इनकी लड़ाई का हिस्सा बनेगा। देर रात सवारी करने वाले यात्रियों की हालत को और भी बुरी होती है जब मामूली दूरी तय करने के नाम पर भी ऑटो वाले मज़बूरी का फायदा उठाकर अच्छी-खासी रकम उगाही करते हैं और यात्री को मजबूरन वो किराया देना पड़ता है क्योंकि उस वक्त ऑटो ही उनको घर तक पहुंचा सकती है।
सस्ते किराये दर के कारण एप्प बेस्ड टैक्सी सर्विस को ज्यादातर लोगों ने पसंद किया और कुछ-एक घटनाओं को छोड़ दें तो अभी तक ये सर्विस आम जनता को रास आ रही है। ऐसे में मार्केट की नीति पर बात करें तो ऑटो वालों को किराये के साथ-साथ अपने व्यवहार में भी परिवर्तन लाना होगा और अपनी सर्विस अच्छी करनी होगी ताकि आम जनता ऑटो वालों को देखते ही मुंह ना बनाया करे।
एप्प बेस्ड टैक्सी सर्विस को बंद करना समस्या का समाधान नहीं हो सकता क्योंकि ऐसे में कोई अंधा व्यक्ति कहे कि तमाम देख सकने वाले व्यक्ति की ऑंखें निकाल दी जाये तो ये कहाँ तक उचित है।
द्वारा: कृष तिवारी