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Exclusive: लखनऊ के वन विभाग में बड़ा घोटाला

लखनऊ। भले ही योगी सरकार भ्रष्टाचार मिटाने की कोशिश कर रही हो लेकिन सरकारी विभागों में वर्षों से एक ही जगह तैनात भ्रष्टाचार अधिकारी अपनी जेबे भरने के लिए सरकार को पलीता लगा रहे हैं। ताजा मामला राजधानी के बख्शी का तालाब (बीकेटी) स्थित वन रेंज में बड़े घोटाले का मामला प्रकाश में आया है। यहां तैनात भ्रष्ट अधिकारियों पर चौकीदारों और संविदाकर्मियों के वेतन में घपला किये जाने का आरोप लगा है। इसकी भनक जब uttarpradesh.org को लगी तो हमारी टीम ने मौके पर जाकर जानकारी हासिल कर पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आये। पेश है एक रिपोर्ट…

क्या है पूरा मामला?

जानकारी के मुताबिक, सपा सरकार हरित क्रांति योजना के तहत बख्शी का तालाब वन रेंज में 3125 पेड़ लगाए थे। इनमें शीशम, सागौन, सरसा, नीम, टोनाइया के पेड़ ग्राम पंचायत दुर्जनपुर, चंद्राकोडर विकासखंड बख्शी तालाब में लगाए गए थे। यहां 7 एकड़ भूमि में के गजट में सिर्फ 200 पेड़ लगे। इनमें से आधे सूख गए और आधे बचे हैं। बताया जा रहा है कि हरित क्रांति योजना के तहत 7 एकड़ भूमि में 3125 पेड़ लगाने का बजट आया था। लेकिन 200 लगाकर बाकी की रकम भ्रष्ट अधिकारियों ने अपनी जेब में रख ली। आरोप है कि खुद को फंसता देख भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले संविदाकर्मियों और चौकीदारों को वन अधिकारियों ने नौकरी से निकाल दिया। इतना ही नहीं आरोप ये भी है साल भर में करीब 10 या 12 संविदाकर्मियों को रखकर हटा दिया जाता है। इन कर्मचारियों का पैसा भी भ्रष्ट अधिकारी अपनी जेब में रख लेते हैं, और इन्हें मनरेगा की मजदूरी का कुछ पैसा दे देते हैं।
केस नंबर एक- बीकेटी के दुर्जनपुर निवासी विकास पुत्र शंकर को सपा सरकार में माली के रूप में नियुक्त किया गया। इनकी नियुक्ति वन रेंजर सुरेश प्रताप सिंह के द्वारा की गई थी। एक साल कार्यसेवा करने के बाद विकास को केवल 2 माह का पैसा मिला और 10 माह का पैसा आज तक नहीं मिला। वेतन मांगने पर इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
केस नंबर दो- राम लखन पुत्र राम अवतार निवासी विजयपुर ने वन रेंज में 19 महीने कार्यसेवा दी। इनको 174 रुपए प्रतिदिन पर (मनरेगा की मजदूरी) रखा गया था। इन्हें सिर्फ 5 माह का वेतन दिया गया। मांगने पर इनको भी नौकरी से हटा दिया गया।
केस नंबर तीन- रामचंद्र पुत्र छोटे लाल निवासी चंद्राकोडर को चौकीदार के रूप में नियुक्त किया गया। रामचंद्र ने एक साल कार्यसेवा दी। इनको भी 2 माह का वेतन मिला और 10 महीने का वेतन आज तक नहीं मिला।
केस नंबर चार- इसी तरह हासिम मियां नगवामऊ के निवासी हैं। बताया जा रहा है कि मानसिक रूप से बीमार हैं और 1990 से वन विभाग में काम कर रहे हैं। पिछले 4 सालों से बख्शी का तालाब वन रेंज में चंद्रा कोडर नर्सरी में काम कर रहे हैं। आरोप है कि इनके गरीब होने का फायदा उठाकर भ्रष्ट अधिकारी इन्हें मनरेगा का वेतन दे रहे हैं। वन विभाग के द्वारा आ रहा वेतन सीधे भ्रष्टाचारियों की जेब में जा रहा है। आरोप ये भी है कि मानसिक रूप से बीमार कर्मचारी को महीने में 100 या 200 रुपये और सालाना 1500 रुपये दे दिया जाता है। जबकि करीब 27 साल से इन्हें 4500 रुपये प्रतिमाह वेतन पर रखा गया है। पीड़ित ने परमानेंट किये जाने की मांग की है।

 


घरेलू नौकर कर रहा चौकीदारी

विकास की जगह डिप्टी रेंजर ने अपने घरेलू नौकर जलालुद्दीन बेग को बतौर वन विभाग में चौकीदार तैनात कर दिया। वन विभाग से हर महीने आ रहा मोटा वेतन ये ले रहा है। आरोपी है कि अलाउद्दीन कई वन चौकियों में काम करता है और वन विभाग के द्वारा मोटा वेतन ले रहा है। संविदा कर्मियों का आरोप है कि उन्हें संविदा पर तो रखा जाता है। लेकिन मनरेगा के वेतन से उन्हें रोजाना के हिसाब से पैसा दिया जाता है। साल में करीब 10 या 12 संविदाकर्मियों को बदला जाता है। उनसे काम करवाकर मेहनताना हड़प लिया जाता है।

गृहमंत्री से शिकायत तक का कोई असर नहीं

शिकायत नंबर एक- डीएफओ रमेश चंद्र भट्ट, रेंजर बख्शी का तालाब, फारेस्टर गौरव सिंह, वनरक्षक शिवसहाय इन लोगों की शिकायत पीड़ित संविदा कर्मचारियों ने गृहमंत्री से 19 जुलाई 2017 को की थी। इस पर गृहमंत्री ने जिला वन अधिकारी को आदेशित किया। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
शिकायत नंबर दो- इसके अलावा 19 जुलाई 2017 को पीड़ितों ने क्षेत्रीय विधायक अविनाश त्रिवेदी से भी शिकायत की थी। विधायक ने क्षेत्रीय वन रक्षक को पत्र लिखकर कार्रवाई कर पैसा देने की बात कही थी। लेकिन आज तक संविदा कर्मियों को एक भी पैसा नहीं मिला।


 

वन विभाग में हो रही बिजली चोरी

आरोप है कि नर्सरी में पौधों को सींचने के लिए एक ट्यूबवेल लगा हुआ है। इस ट्यूबवेल को चोरी की बिजली से चलाया जाता है। कई सालों से यहां चोरी की बिजली से नर्सरी सींची जा रही है। आरोप है कि वन विभाग ने दो बीघा जमीन देकर पड़ोस में लगे कनेक्शन से कटिया लगाकर सिंचाई का काम शुरु किया और उसके बदले दो बीघा जमीन दी है। उसी से इस नर्सरी में पानी सींचा जा रहा है।

अधिकारियों के संरक्षण में जोरों पर अवैध कटान

इतना ही नहीं क्षेत्र में अधिकारियों की सह पर अवैध कटान जोरों पर है। आरोप है कि 22 पेड़ों को नीलामी करने का प्रशासन की तरफ से लिखित में आया था। लेकिन रातों-रात भ्रष्ट अधिकारियों ने करीब 56 पेड़ कटवा कर बेच दिए। जब चौकीदार ने पेड़ काटते समय लोगों को रंगे हाथ पकड़ लिया और अपने उच्च अधिकारियों को सूचना दी। तो अधिकारियों ने कहा कि हमारी सब सेटिंग हो गई है। तुम्हें लेना है जो ले लो और गाड़ियों को जाने दो। पीड़ित ने अवैध कटान के खिलाफ आवाज उठाई तो उसको नौकरी से निकाल दिया गया। पीड़ित का वेतन आज तक नहीं मिला है। सभी पीड़ित संविदाकर्मियों ने अपने बकाया वेतन की तत्काल मांग कर भ्रष्ट अधिकारियों को हटाने की मांग की है। बता दे एक तरफ जहां योगी सरकार अवैध कटान पर रोक लगा रही है। वहीं कुछ भ्रष्ट अधिकारी अवैध कटान को बढ़ावा दे रहे हैं। इस संबंध में हमने वन विभाग के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।


 

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