2019 के लोकसभा चुनावों के पहले सभी की नजर उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर लगी हुई है। भाजपा जहाँ अपने इन किलों को बचाने में लगी हुई है तो वहीँ सपा-बसपा और कांग्रेस इन्हें भी फूलपुर और गोरखपुर उपचुनावों की तरह जीतकर 2019 के पहले देश में एक संदेश देने की जुगत में लगा हुआ है। इस बीच विपक्ष के एक बड़े दल ने इन उपचुनावों में न उतरने का फैसला किया है जिसके बाद नयी चर्चाएँ शुरू हो गयी हैं।
ऐसा है समीकरण :
उत्तर प्रदेश में बिजनौर की नूरपुर विधान सभा में कुल 2.69 लाख वोटर हैं जिनमें से दलित, मुस्लिम और यादव की संख्या मिला दें तो ये 1.60 लाख तक पहुँचती है। अगर गोरखपुर-फूलपुर की तरह यहाँ भी ये वोटबैंक विपक्ष के प्रत्याशी के पक्ष में गया तो भाजपा की हार तय है। कुछ ऐसा ही समीकरण कैराना लोकसभा का भी है। यहाँ भी दलित-मुस्लिम समीकरण किसी भी प्रत्याशी को जीता सकता है। हालाँकि कैराना में दिवंगत भाजपा सांसद हुकुम सिंह की स्वच्छ और मिलनसार छवि बनी है जिसके कारण विपक्ष को खास दिक्कतें हो सकती है।
बसपा नहीं लड़ेगी उपचुनाव :
भाजपा ने जहाँ कैराना लोकसभा उपचुनाव में दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को प्रत्याशी बनाये जाने का इशारा किया है तो वहीँ नूरपुर विधानसभा सीट पर सड़क हादसे में जान गंवाने वाले भाजपा विधायक लोकेन्द्र सिंह की पत्नी अवनी को टिकट दिए जाने की बात हो रही है। हालाँकि इसकी अधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है। इसके अलावा विपक्ष से बसपा इन उपचुनावों में प्रत्याशी नहीं उतारेगी। बसपा का रिकॉर्ड है कि उपचुनावों में कभी उसने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। यही कारण है कि उसने गोरखपुर और फूलपुर उपचुनावों में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को समर्थन दिया था। अब देखना है कि विपक्ष की तरफ से किस प्रत्याशी के नाम पर फैसला लिया जाता है।