2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को प्रदेश में पैर जमाने से रोकने के लिए समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है। इसके साथ ही दोनों पार्टियों ने गठबंधन के तहत लड़ने वाली सीटों पर मंथन करना शुरू कर दिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं कि भाजपा को हराने के लिए वे बड़े से बड़ा त्याग करने को तैयार हैं। इस बीच बहुजन समाज पार्टी ने भी अपने नेताओं के साथ बैठक कर गठबंधन को लेकर बड़ा फैसला कर लिया है।

नए चेहरे पर लगेगा दाँव :

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने अभी से 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है। इसके अलावा विधानसभा चुनावों को लेकर भी बसपा ने तैयारी शुरू कर दी है। आगरा की नौ विधानसभा सीटों के बारे में विचार किया जा रहा है। इसके अलावा अगर विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी से गठबंधन हुआ तो उसे आगरा जिले की 2 सीटें दी जाएंगी। बसपा के दिल्ली मुख्यालय में हुई बैठक में तय किया गया कि 90 फीसदी नए प्रत्याशियों पर दांव लगाया जाएगा। पुराने चेहरों को फिर से रिपीट नहीं किया जाएगा। बहुजन समाज पार्टी की दिल्ली में हुई बैठक में आगरा की समीक्षा की गई। इस बैठक में नतीजा निकला कि जिले में पार्टी की स्थिति ठीक नहीं है। 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को नौ में से एक भी सीट पर जीत नहीं मिली है।

छोड़ सकती है कुछ सीटें :

फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट भी बसपा के हाथों से निकल चुकी है। आगरा सीट पर तो कभी बसपा को जीत नहीं मिल सकी है। इसके अलावा नगर निगम चुनाव में पार्टी कोई अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी है। 2012 में बसपा आगरा की 7 विधानसभा सीटों पर चुनाव जीती थी। अब जिले की सभी नौ सीटें भारतीय जनता पार्टी के पास हैं। सपा, बसपा, कांग्रेस, लोकदल का गठबंधन होता है तो फतेहपुर सीकरी और फतेहाबाद सीट बसपा छोड़ सकती है। फतेहपुर सीकरी विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय लोकदल का दावा है। फतेहाबाद सीट समाजवादी पार्टी या कांग्रेस को मिल सकती है।

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