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लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर लगभग सभी कंपनियों को कारों को बाजार में उतारने से पहले उनका क्रैश टेस्ट कराना होता है। इन टेस्ट के जरिये यह परखा जाता है कि गाड़ी के टक्कर होने या पलटने की स्थिति में उसकी बॉडी और छत कितना दबाव बर्दाश्त कर सकती है, जिससे कि लोगों तक पहुँचने से पहले ही गाड़ी को सुरक्षित बनाया जा सके। हमारे देश में भी 2017 से कारों के लिए क्रैश टेस्ट रेगुलेशन लागू होगा। फिलहाल हमारे देश में बिकने वाली ऐसी बहुत सी कारें हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी नहीं उतरतीं हैं। कुछ ही महीने पहले हुए एक क्रैश टेस्ट में हमारे देश में बिकने वाली पांच कारें फेल हो गईं थीं।
इस वीडियो में कुछ कारों का क्रैश टेस्ट किया गया है। जिसमे कार की अधिकतम रफ़्तार 200 किलोमीटर प्रति घंटा है।
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https://www.youtube.com/watch?v=89iBXsSxNlo
कार के क्रैश टेस्ट में साइड क्रैश, पोल क्रैश, फ्रंट क्रैश आदि टेस्ट किये जाते हैं। वीडियो में इन कारों के साथ किये गए टेस्ट को देखकर पता चलता है कि ये टेस्ट हमारी सुरक्षा के लिहाज से कितने जरूरी हैं। वीडियो में 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार पर किये गए इस क्रैश टेस्ट में सभी कारों के परखच्चे उड़ गए।
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