मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक डॉक्टर और इंजीनियर ने बिना इंटरनेट के मोबाइल डेटा कम्यूनिकेशन की नई तकनीक ईजाद की है। ये टेक्नोलॉजी ब्लूटूथ, वाई-फाई जैसी ही है, लेकिन इसके लिए इंटरनेट पैक जरूरी नहीं होगा। एक साधारण एक्टिव सिम और स्मार्टफोन पर भी यह संभव हो सकेगा। ऐसे मोबाइल फोन नेटवर्क जिस पर हम केवल बात करते हों वहां यह तकनीक काम करेगी। शासकीय होम्योपैथी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. निशांत नंबीशन और इंजीनियर अखिलेश सोनी ने करीब 2 साल की मेहनत के बाद इंटरनेट के बिना डेटा कम्यूनिकेशन की तकनीक में सफलता हासिल की। डेटा कम्यूनिकेशलन ओवर रेडियो वॉइस सिग्नल्स (DCORVS) को डेवलप करने वाली टीम का दावा है कि यह पहली आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक से डेवलप की गई 2G नेटवर्क पर काम करने वाली सर्विस है। DCORVS सिस्टम के पेटेंट के लिए एप्लीकेशन फाइल की जा चुकी है।
यह तकनीक केवल गूगल, ट्विटर, फेसबुक, पेटीएम जैसे अन्य ऐप्स को चलाने में ही सक्षम नहीं है, बल्कि रूरल बैंकिंग, कृषि, मौसम, शासकीय योजनाओं की सूचना पहुंचाने में उपयोगी साबित होगा। 2G के अलावा 3G, 4G या अन्य किसी प्लेटफॉर्म पर इस सिस्टम का उपयोग किया जा सकता है। इस टेक्नोलॉजी की खासियत ये है इसमें इनकमिंग इंटनेट फ्री मिलेगा। क्योंकि भारत में इनकमिंग कॉल फ्री है। बिना इंटरनेट के भी सभी सूचनाएं नोटिफीकेशन से मिलती रहेंगी। जैसे कि किसानों को मौसम संबंधी सूचना या तत्काल किसी जरूरी सूचना पहुंचाना हो। TIEYUP ऐप को किसी कंप्यूटर से सीधे मोबाइल में लोड किया जा सकता है। इसके बाद रार फाइल, रिच टैक्स्ट फाइल, इमेज या अन्य कोई डेटा ट्रांसफर किया जा सकेगा।
कैसे मिली प्रेरणा:
डॉ. नंबीशन को एक मरीज की जांच की रिपोर्ट देखनी थी। लेकिन जहां से रिपोर्ट भेजी जानी थी वहां इंटरनेट या ब्रॉडबैंड की सुविधा नहीं थी। इसी तरह डॉ. नंबीशन द्वारा खोजा गया डिजिटल
स्टेथोस्कोप बिना इंटरनेट एम्स टेलीमेडिसीन हार्ट साउंड नहीं पहुंचा पा रहा था। तब सोचा कि रेडियो सिग्नल के जरिए जब फोन पर बात हो सकती है तो डेटा ट्रांसफर क्यों नहीं हो सकता।