उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव अपने आप में काफी ख़ास होने वाला है। इस लोकसभा सीट पर भाजपा जहाँ अपना वर्चस्व कायम रखना चाहती है तो वहीँ विपक्ष फूलपुर और गोरखपुर की तरह यहाँ भी बीजेपी को पटखनी देने की सोच रहा है। हालाँकि पिछले उपचुनावों की तरह यहाँ भी विपक्ष में एकजुटता नहीं दिखाई दे रही है। सपा-बसपा जहाँ अपना प्रत्याशी उतारने की सोच रहे हैं तो वहीँ एक अन्य विपक्षी दल ने इस लोकसभा सीट पर अपने प्रत्याशी को लेकर तैयारी शुरू कर दी है।
कांग्रेस उतारेगी प्रत्याशी :
उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव की घोषणा के साथ ही सभी राजनैतिक पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों के नाम पर मंथन शुरू कर दिया है। फूलपुर और गोरखपुर की तरह इस बार भी कांग्रेस ने कैराना में अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस का कहना है कि उपचुनाव के लिए केंद्रीय लीडरशिप और प्रदेश लीडरशिप के बीच उम्मीदवार को लेकर बातचीत चल रही है। कांग्रेस प्रवक्ता वीरेन्द्र मदान ने कहा कि जल्द उम्मीदवार का एलान कर दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उप-चुनाव के लिए कांग्रेस की तैयारी पूरी है और पार्टी का उम्मीदवार ही कैराना से लोकसभा जाएगा। कांग्रेस प्रवक्ता के इस बयान से विपक्षी एकता को तगड़ा झटका लगता हुआ दिख रहा है। कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारने की बात कह रही है वहीं सपा इस मुद्दे पर कुछ बोलने से इनकार कर रही है।
भाजपा सांसद के निधन से रिक्त है सीट :
कांग्रेस जहाँ अपना प्रत्याशी उतारना चाहती है तो वहीँ रालोद प्रमुख अजीत सिंह भी अपने पुत्र जयंत चौधरी को मैदान में उतारना चाहते है। इसके अलावा सपा भी अपने प्रत्याशी के नाम पर मंथन कर रही है। हालाँकि बसपा अपने उप-चुनाव न लड़ने के वायदे पर कायम है। कैराना लोकसभा सीट बीजेपी के ताकतवर गुर्जर नेता हुकूम सिंह के निधन से रिक्त हुई है। उन्होंने ही क्षेत्र में हिंदुओं के पलायान का मुद्दा उठाया था। इस मुद्दे पर काफी राजनीति भी हुई थी। अब बीजेपी के सामने इस सीट को फिर से जीतने की चुनौती है।