अपने ढंग के एक मात्र हिंदी कवि रामधारी सिंह दिनकर की 108वी जयंती हैं। हिंदी भाषा के इतिहास के महान कवि रामधारी सिंह दिनकर की तमाम कविताएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक नज़र आती है जितनी उनके समय में थी।
- महाकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म बिहार के बेगूसराय में हुआ था ।
- रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के अपने अंदाज के अकेले कवि थे ।
- वह अपने में साहित्य, समाज, इतिहास और राजनीति को एक साथ समेटकर चलते हैं।
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- करीब पांच दशक लंबे कालखंड में सृजनरत दिनकर समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे थे।
- आजादी के पहले बारदोली विजय पर विजय संदेश के नाम से उनकी कविताओं की एक पुस्तिका प्रकाशित हुई थी ।
- जिसके बारे में उन्होंने खुद लिखा है कि उसमें एक उदीयमान कवि के रेंगने की रेखाएं देखने को मिलती हैं।
- गांधी और माक्र्स को लेकर दिनकर में एक खास तरह का द्वंद्व देखने को मिलता है।
- हिंसा व अहिंसा के बीच का उनका द्वंद्व उनकी रचनाओं में भी दिखाई देता है।
- जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया था, तब दिनकर जी ने परशुराम की प्रतीक्षा लिखी ।
- जिसमें उन्होंने अपने तर्कों के आधार पर हिंसा और अहिंसा के इस्तेमाल के दर्शन को साफ किया।
- दिनकर ने स्वीकार भी किया है कि ‘मैं जीवन भर गांधी और मार्क्स के बीच झटके खाता रहा हूं।
- इसलिए उजले को लाल से गुणा करने पर जो रंग बनता है, वही रंग मेरी कविता का रंग है।
- दिनकर को आज भी देशवासियों द्वारा बेहद आदर के साथ याद किया जाता है ।
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