आजकल नज़र से जुड़ी समस्यायें आम हैं. हमारे खानपान और आस पास के वातावरण में अब इतने बदलाव आ चुके है कि हम आसानी से बीमार पड़ जाते हैं. हमारी आंखे शरीर का एक बेहद नाज़ुक और जरुरी भाग है. जिसमे परेशानी होने से हमें भारी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं. इसकी और भी कई साड़ी वजहें हैं कि हम अब स्क्रीन पर ज्यादा देर तक वक़्त बिताते हैं. फ़ोन स्क्रीन पर हम दिन भर लगे रहते हैं जिनके कारण हमारी आंखे को रौशनी पर असर पड़ता है.

क्या है बीमारी?

आज कल के दिनों में आँखों से जुड़ी एक समस्या बहुत तेज़ी से सामने आ रही है जिसमे लोगो को नज़र से साफ़ दिखना बंद हो गया है और सब कुछ धुंधला धुंधला नज़र आता है. आंखों की इस बीमारी को मैक्यूलर डीजनरेशन (एमडी) या एज रिलेटेड मैक्यूलर डीजनरेशन (एएमडी) कहा जाता है.

क्या है मैक्यूलर डीजनरेशन?

एज रिलेटिड मैक्यूलर डीजनरेशन यानी एएमडी या एमडी को साधारण भाषा में समझा जाए तो जिस तरह कैमरे में मौजूद फ़िल्म पर तस्वीर बनती है, ठीक उसी तरह से हमारी आंखों के रेटिना में तस्वीर बनती है. अगर रेटिना ख़राब हो जाए तो आंखों की रौशनी जा सकती है. कुछ ऐसी ही बीमारी है एएमडी, इसमें बढ़ती उम्र के साथ रेटिना का मैक्यूला वाला भाग धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होने लगता है, जिसे दोबारा ठीक करना मुमक़िन नहीं है. इस बीमारी के चलते दुनियाभर में कई लोग अंधेपन का ‌शिकार हो जाते हैं. आमतौर पर यह बीमारी बुज़ुर्गों में होती है. यदि आपके माता-पिता या घर के दूसरे सीनियर सदस्यों को निम्न कुछ शिकायतें हों तो इसे नज़र अंदाज़ बिलकुल भी न करें.

गौर करने वाली बात ये है की यह बीमारी बुजुर्गो के साथ साथ कम उम्र की महिलाओं में भी देखि जा रही है. वर्ष 2016 के ग्लोबल डेटा हेल्थकेयर के एक अध्ययन के मुताबिक़ एएमडी के कुल मामलों में 65.76 फ़ीसदी मामले महिलाओं में पाए जाते हैं, जबकि पुरुषों में इसका प्रतिशत 34.24 था.

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