परिवार क्या होता है- ऐसे लोगों का समूह जो भौतिक और मानसिक स्तर पर एक-दूसरे से जुड़ा होते है. एक परिवार जिनसे पुरा एक घर बनता है घर के हर एक सदस्यों में एकता और विश्वास जुडा होता है.
परिवार को एक जुट बनाये रखने के टिप्स
वर्त्तमान समय में परिवार में एकता बनाये रखना बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है.जैसे जैसे समाये बीत रहा है लोग अपने आप में इतने बीजी होते जा रहे हैं की अपनी फैमिली पे ध्यान ही नही दे पाते है, जिससे परिवारो में दूरिय बनती जाती है परिवार का हर एक व्यक्ति अपनी दिन्चारिया की लाइफ में इतना बीजी है की उसे पूरा समय तो घर के बहार ही निकल जाता है. सब अपने अपने हिसाब से जीना चाहते है. इस कारण किसी का भी एक साथ बैठ पाना बहुत ही बड़ी समस्या बनती जा रही है क्योंकि कहीं पिता-पुत्र में नहीं बनती तो कहीं भाई-भाई की बात नहीं सुनता। सास-बहू के बीच अच्छे रिश्ते की बात की सोची भी नहीं जा सकती। परिवार के सदस्यों के सामंजस्य न बैठ पाने के कई कारण हो सकते हैं जैसे- एक-दूसरे से सोच न मिलना, परिवार की जिम्मेदारियों को लेकर मनमुटाव, जनरेशन गेप आदि।
ऐसे मामलों में अंतत: एक परिवार अनेक परिवारों में बंट जाता है। इसका असर आने वाली पीढ़ी पर पड़ता है. जिसके कारण बच्चे संयुक्त परिवार के प्यार से वंचित रह जाते हैं। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो परिवार में सामंजस्य बनाया जा सकता है। ये सूत्र इस प्रकार हैं
घर के सबसे बड़े मुखिया:
घर का मुखिया सिर्फ परिवार ही नहीं चलाता है, बल्कि उनके कार्यो पर ही परिवार का भविष्य टिका होता है. मुखिया का एक गलत निर्णय परिस्थितियों को पूरी तरह बदल कर रख देता है. घर के मुखिया से ही आगे आने वाली पीड़ी को सब कुछ सीखने को मिलता है. जैसे घर के बड़े जिम्मेदारियों को निभाते है वैसे ही आगे आने वाली पीड़ी भी अपनी जिम्मेदारी निभाती है.
परिवार का हित सबसे पहले:
आज के समय में हर कोई सबसे पहले स्वयं के हित के बारे में सोचता है और परिवार हित के बारे में बाद में. यही सोच परिवारों में मनमुटाव बढ़ाती है. यदि आप स्वयं के हित से ऊपर परिवार हित के बारे में सोचेंगे तो परिवार के अन्य सदस्यों का नजरिया आपके प्रति सकारात्मक होगा और परिवार टूटने से बच जाएगा.
बच्चों को दे पूरा समय:
आपने बच्चों को कभी भी ये महसूस न होने दे की आप उनपे कभी ध्यान नही देते. जहा तक हो सके तो आप उनके माता पिता नही बल्कि एक दोस्त के जैसे बन के रहे. जिससे बच्चे अपनी हर एक बात आपको बता सके और उन्हें किसी भी तरह की दिक्कत लाइफ में न होए. जिससे एक परिवार में भी बच्चों को मिल सकता है एक दोस्त.