लोगों में आजकल फैटी लिवर की समस्या आम हो चुकी है.इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के डॉक्टरों का कहना है कि वसायुक्त लिवर से पीड़ित लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। यदि ठीक से इलाज न हो तो वसायुक्त लिवर से लंबे समय में लिवर कैंसर भी हो सकता है।
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लिवर सिरोसिस का रहता है खतरा
- उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर पांच में से एक व्यक्ति के लिवर में अधिक वसा मौजूद होती है।
- वही हर 10 में से एक व्यक्ति में फैटी लिवर रोग होता है। यह चिंता का एक कारण है।
- क्योंकि ठीक से जांच और इलाज न होने से लिवर को क्षति पहुंच सकती है और लिवर कैंसर भी हो सकता है।
- गैर-एल्कोहल फैटी लिवर रोग वाले 20 प्रतिशत लोगों में 20 वर्षो के अंदर लिवर सिरोसिस का खतरा रहता है।
- एनएएफएलडी सिरोसिस और कभी-कभी तो क्रिप्टोजेनिक सिरोसिस की भी वजह बन सकता है।
- अधिक वजन वाले लोगों में प्रतिदिन दो ड्रिंक और मोटे लोगों में प्रतिदिन एक ड्रिंक लेने से हिपेटिक इंजरी हो सकती है।
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- एनएफएलडी के चलते सिरोसिस के कारण लिवर कैंसर हो जाता है।
- और ऐसी कंडीशन में अक्सर हृदय रोग से मौत हो जाती है।
- एनएफएफडीएल अल्कोहल की वजह से तो नहीं होता।
- लेकिन इसकी खपत अधिक होने पर स्थिति जरूर खराब हो सकती है।
- प्रारंभिक अवस्था में यह रोग खत्म हो सकता है या वापस भी लौट सकता है।
- एक बार सिरोसिस बढ़ जाए तो लिवर ठीक से काम नहीं कर पाता है।
- ऐसा होने पर, फ्लुइड रिटेंशन, मांसपेशियों में नुकसान, आंतरिक रक्तस्राव, पीलिया और लिवर की विफलता जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं।
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एनएएफएलडी के प्रमुख लक्षण
- थकान या भूख की कमी
- कमजोरी, मितली
- सोचने में परेशानी, दर्द
- जिगर का बढ़ जाना
- गले या बगल में काले रंग के धब्बे।
बचाव के उपाय
- बीमारी को गंभीरता से रोकने के लिए जीवनशैली में परिवर्तन करने की जरूरत होती है।
- इस स्थिति से बचाव के लिए वजन संतुलित रखें।
- मौसमी फलों व सब्जियों का खूब सेवन करें।
- हर दिन न्यूनतम 30 मिनट शारीरिक व्यायाम करें।
- शराब का सेवन सीमित करें या इसे लेने से बचें।
- केवल आवश्यक दवाएं ही लेनी चाहिए और परहेज पर ध्यान दें।