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कब्रिस्तान…श्मशान से लेकर काला धन औऱ कचौडी पकौडी मे उलझा दिया पूर्वांचल को!

क्यो गायब हो गये मुद्दे???

बयान नंबर 1-  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी – अगर गांव मे कब्रिस्तान बने तो श्मशान भी बनना चाहिये..अगर रमजान मे बिजली आये तो होली मे भी मिलनी चाहिये..!

बयान नंबर 2 – साक्षी महाराज – कब्रिस्तान से जमीन बर्बाद होती है मुसलमानो को भी शव का दाह संस्कार करना चाहिये..!

बयान नंबर 3 – मुख्यमंत्री अखिलेश यादव – नरेंद्र मोदी के मंत्री काले धन से काशी मे कचौडी पकौडी खा रहे है ..चेक औऱ कार्ड से पेमेट नही कर रहे है..!

दरअसल यह तीन बयान उत्तर प्रदेश की गिरती हुई सियासत की एक तस्वीर पेश करती है जिसका मकसद जनता के मुद्दो से जनता का ही ध्यान भटकाना होता है…पूर्वांचल के अंतिम दो चरण यानि छठा औऱ सांतवा चरण मिलाकर कुल 89 सीटो पर तमाम सियासी दलो की तकदीर लिखी जानी है लेकिन तकदीर कैसे लिखेगी यह जानने औऱ समझने से पहले कुछ औऱ तथ्यो पर गौर कर लीजिये..!

पूर्वांचल मे दिमागी बुखार से पिछले दस सालो मे हजारो बच्चो की मौत हो चुकी है..अकेले गोरखपुर मे दस सालो मे 35 हजार से ज्यादा बच्चे मौत का शिकार हो गये..!

जो बच्चे बच गये वह भी दुर्भाग्य का शिकार हुये क्योकि इस बीमारी के बाद जो बच्चे बच जाते है वह मानसिक तौर पर कमजोर हो जाते है..!

पूर्वांचल मे आज बीएचयू औऱ गोरखपुर विश्वविघालय को छोडकर बडे शिक्षण संस्थानो का अभाव है…!

पूर्वांचल का हथकरघा उघोग बर्बाद हो चुका है..बुनकरो की हालत बद से बदतर है..बनारसी साडियो का कारोबार भी मंदा है…घरेलू औऱ कुटीर उघोग बंद हो चुके है..

पूर्वांचल मे गन्ना किसान गरीबी का दंश झेल रहा है…ज्यादातर चीनी मिले बंद हो चुकी है..दो दशको मे सबसे ज्यादा पलायन इसी इलाके से हुआ..!

अब सवाल यह है कि यह तमाम बुनियादी जरुरते मुद्दा क्यो नही बन सकी…किसी भी सियासी दल ने पूर्वांचल की इन समस्याओ को अपने एजेंडे मे क्यो नही लिया….दरअसल इन तमाम मुद्दो की हवा निकालने के लिये पूर्वाचंल मे पहले से यह कोशिश शुरु हो जाती है कि जातीय औऱ सांप्रदायिक आधार पर कैसे ध्रुवीकरण हो सके….गोरखपुर से बनारस तक बाहुबलियो की सियासी प्रयोगशाला बन चुका पूर्वांचल अपनी जरुरतो का हिसाब किताब नेताओ से मांगे इससे पहले ही जातियों औऱ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का खेल शुरु हो जाता है..स्वभाव से हसमुख औऱ जिंदादिल पूर्वाचल के आम लोग इन जरुरतो को मुद्दे मे तब्दील नही कर सके तो …!

कमजोरी किसकी मानी जायेगी …नेताओ की या फिर पूर्वांचल की जनता की..यह सवाल आपसे है????

लेखक मानस श्रीवास्तव नेशनल वायस चैनल के एसोसिएट एडिटर है…!

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