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करी है कभी दूधिया ‘कच्छ’ की सैर?

गुजरात का एक बेहद खूबसूरत हिस्सा है कच्छ! चारों तरफ मरुस्थल से घिरा ये स्थान हर ओर सफ़ेद दूधिया नज़र आता है. कच्छ प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा पड़ा है. आपने कच्छ के रण के बारे में तो जरुर ही सुना होगा. जिसका प्रचार अमिताभ बच्चन ने किया है. अमिताभ बच्चन गुजरात टूरिज्म के ब्रांड अम्बेसडर हैं और उनके द्वारा बोली जानें वाली लाइन “कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा” आपको यहाँ तक खीच ले आती है. कच्छ पहुचने के लिए आपको सीधे भुज पहुचना होगा जिसे कच्छ की राजधानी भी कहा जाता है. यहाँ के लिए आसानी से आपको ट्रांसपोर्टेशन भी मिल जायेगा. अगर आप यहाँ जाने का प्लान कर रहे है तो सर्दियों में ही जाएं और अभी से ही अपनी सारी बुकिंग्स भी कर लें.

देखने लायक जगहें:

have you ever visited Kutch Gujarat's beautiful travel places

कच्छ का वो भूतिया शहर:

भुज एरिया में घूमने के लिए बहुत सी जगहें हैं लेकिन यहाँ का एक भूतिया शहर बहुत चर्चित है, लखपत नगर. लखपत नगर सिर्फ सड़क मार्ग द्वारा ही जाया जा सकता है. भुज से लगभग 170 किमी की दूरी पर ये शहर बसा हुआ है जहाँ दूर दूर तक कोई इंसान नहीं दिखता.  बंदरगाह होने के अपने रुतबे को लखपत ने वर्ष 1819 में तब खो दिया, जब एक भूकंप के चलते सिंधु नदी ने अपना मार्ग बदल लिया. नदी शहर से दूर बहने लगी. फ़िलहाल यह एक डरावना और इंसानी आबादी विहीन शहर है. जहां की सड़कें सूनी हैं और घर टूटे-फूटे. सबकुछ 7 किमी लंबी क़िलेबंदी से घिरा हुआ है. क़िले की दीवारें 18वीं शताब्दी में बनाई गई थीं.

भुज के बंदरगाह:

यहाँ का मांडवी शहर अपने खूबसूरत बंदरगाहों के लिए बहुचर्चित है. यह जगह इसलिए भी लोगों को अपनी उर खीचती है क्युकि यहाँ कई सारी बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग हुई है. यहां आकर आप देख सकते हैं कि लकड़ी के विशालकाय जहाज़ कैसे बनाए जाते हैं, वो भी हाथों से. यहां का समंदर किनारा सीगल्स को आकर्षित करता है. ये सीगल्स इंसानों को देखने के इतने आदी हो चुके हैं कि वे आपके साथ चहलक़दमी करने में बिल्कुल भी हिचक महसूस नहीं करते.

काली पहाड़ी:

काली पहाड़ी यानी कालो डूंगर कच्छ की सबसे ऊंची पहाड़ी है.  भुज से 20 किमी आगे बढ़ने पर आपको रास्ते में एक नीली तख्ती दिखेगी, जो आपको सूचित करेगी कि आप कर्क रेखा पर हैं. जैसे-जैसे आप आगे बढ़ेंगे, भूदृश्यों को हरे रंग से भूरे और फिर काले रंग में परिवर्तित होता देखेंगे. इन्हीं काले पत्थरों के चलते इसका नाम कालो डूंगर रखा गया है.

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