भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेले गए लीग मैच में भले ही इंडियन जूनियर हॉकी टीम में फ़तेह हासिल की हो लेकिन दक्षिण अफ्रीका अपने खेल की छाप छोड़ गई. दक्षिण अफ्रीका के हॉकी प्लेयर्स ने ये साबित कर दिखाया की जुनून हो तो सारी मुश्किलें भी अपना सर झुका लेती है.
संघ से नहीं मिली कोई भी मदद-
- इस टीम को हॉकी संघ से किसी भी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली.
- इसके अलावा टीम को यहां के समान सुविधायें मयस्सर है और ना ही पैसा.
- दक्षिण अफ्रीका की टीम अपने खर्चे पर वर्ल्ड कप खेलने आई.
- टीम की हौसलाअफजाई के लिए खिलाड़ियों का परिवार भी उनका खेल देखने पहुंचे.
- कई खिलाड़ियों के माता-पिता और बहन केपटाउन, नटाल, पोर्ट एलिज़ाबेथ, डरबन और जोहानिसबर्ग से यहां पहुंचे हैं.
- दक्षिण अफ्रीका टीम के कप्तान एलेक्स स्टीवर्ट के पिता लीथ स्टीवर्ट 1978 से 1988 के बीच दक्षिण अफ्रीका की राष्ट्रीय टीम के लिए खेल चुके है.
- वह अपनी पत्नी लॉरेन के साथ टूर्नामेंट देखें यहां पहुंचे.
- लॉरेन ने बताया, ‘दक्षिण अफ्रीका हॉकी महासंघ खिलाड़ियों के लिए कुछ नहीं करता है.’
- टीम के मुख्य स्ट्राइकर वोल्टर की पिता माइक पाफ ने कहा, ‘हमारे साथ 10 और लोगों के बच्चे आयें हैं, हॉकी के प्रति लगाव ही हमे यहाँ तक लेकर आया है.’
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