भारत तपेदिक, एचआईवी, इंसेफेलाइटिस, मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों के बोझ से पहले ही दबा हुआ है। इन बीमारियों से भारत अभी निपटने की कोशिश कर रहा है कि ऐसे में एक विश्लेषण के अनुसार इबोला और जीका जैसी संक्रामक बीमारी का खतरा देश पर मंडरा रहा है जिससे निपटने में स्वास्थ्य महकमा पूर्णत: सक्षम नहीं है। एक विश्लेषण में कहा गया है कि भारत समेत दक्षिण एशियाई देश जीका और इबोला जैसी उभरती संक्रामक बीमारियों के प्रति संवेदनशील हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए उनकी तैयारियों का स्तर अपर्याप्त है।
एक विश्लेषण में हुआ खुलासा:
- भारत की इबोला और जीका जैसी बीमारी से निपटने की जो तैयारी है, वह अपर्याप्त है।
- ब्रिटिश मेडिकल जर्नल बीएमजे में प्रकाशित दक्षिण एशिया में स्वास्थ्य पर 12 विश्लेषण हुआ है।
- जिसमें यह बात 12 विश्लेषणों के संग्रह के हिस्से के तहत विश्लेषण में सामने निकलकर आई है।
- विश्लेषण में जो महत्वपूरण बिंदु चिन्हित किया गया है कि
- 1960 के दशक में कई दक्षिण एशियाई देशों में डेंगू के संक्रमण के छिटपुट मामले देखे गए थे।
- लेकिन भारत और श्रीलंका में नियमित महामारी 1990 के दशक की शुरूआत में देखी गई।
- साथ ही भारत और श्रीलंका में 40 वर्ष की आयु तक 90 से 95 फीसदी वयस्क डेंगू के विषाणु से प्रभावित हो चुके होते हैं।
- जबकि 41 फीसदी चिकनगुनिया से संक्रमित हो चुके हैं।