भारतीय किक्रेट टीम आज दुनिया की सर्वश्रेष्ट क्रिकेट टीमों में से एक है। टीम इंंडिया पिछले कुछ सालों से अपने प्रर्दशन के दम पर दुनियाभर में सफलता के झन्डें गाढ़ रही है। आज टीम के पास एक से एक अच्छे बल्लेबाज और गेंदबाज है जो किसी भी टीम को कही पर भी धूल जटाने की क्षमता रखते है। आज भारत क्रिकेट की दुनिया में महाश्ाक्ति बना हुआ नजर आता है। क्रिकेट को लेकर जो माहौल आज हमेे नजर आ रहा है उसकी शुरूआत आज से 33 साल पहले कपिल देव की कप्तानी वाली टीम ने की थी।
आज से तकरीबन 33 साल पहले टीम इंडिया ने ऐसा कारनामा कर दिखाया था जिसकी उम्मीद शायद किसी ने भी नही थी। 33 साल पहले आज के ही दिन वो पल आया था जब टीम इंडिया ने एक बड़ा उलटफेेर करते हुए उस वक्त की सबसे मजबूत टीम वेस्टइंडीज को हराकर पहली बार विश्वकप की ट्राफी अपने नाम की थी। विश्वकप केे इस फाइनल मैच में वेस्टइंडीज की टीम ने टॉस जीता और भारतीय टीम को पहले बल्लेेबाजी करने केे लिए न्यौता दिया। उस वक्त वेस्टइंडीज की गेदबाजी बेहद खतरनाक थी। वेस्टइंडीज के गेदबाजों के सामनेे इंडिया की पूरी टीम 183 रनों पर आॅॅलआउट हो गई थी।
गौरतलब है कि उस वक्त 60 ओवरों का मैच हुआ करता था जिस लिहाज से टीम इंडिया के द्वारा बनाया 183 रनों का स्कोर बेहद कम था। वेस्टइंडीज टीम की बल्लेबाजी भी उस वक्त आला दर्जे की थी। दूसरी पारी में जब वेस्टइंडीज के बल्लेबाज मैदान पर उतरे तो टीम इंडिया ने महज 5 रन पर ही उनका पहला विकेट लेकर अपने इरादे जाहिर कर दिये। इसके बाद जो हुआ उसे एक चमत्कार ही कहा जा सकता है। भारतीय गेदबाजों की धारधार गेदबाजी के सामने वेस्टइंडीज की पूरी टीम 140 रनों पर ऑउट हो गई।
इस तरह भारतीय टीम ने पहली बार वर्ल्डकप का खिताब अपने नाम किया। वर्ल्डकप के इस फाइनल मैच में मैन ऑफ द मैच का खिताब मोंहिदर अमरनाथ को मिला जिन्होंने इस मैच में गजब का प्रर्दशन किया था। उन्होने 26 रन बनाने के अलावा तीन विकेट भी निकाले थे।