फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुई बैठक में भारत को MTCR में शामिल करने की आधिकारिक घोषणा की गई। इसके बाद नई दिल्ली में फ्रांस, नीदरलैंड और लक्जेमबर्ग के राजदूतों के साथ इस फैसले को अमली जामा पहनाया।
इस मौके पर भारत ने सबकी सहमति से एमटीसीआर का सदस्य बनाए जाने के लिए सभी सदस्य देशों का आभार जताया है और अन्य सदस्य देशों के समर्थन पर ख़ुशी व्यक्त की। भारत के लिए इसे बहुत बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
दुनिया के चार महत्वपूर्ण परमाणु टेक्नोलॉजी निर्यात करने वाले खास देशों के समूह में MTCR बहुत महत्वपूर्ण है। एनएसजी में शामिल होने की हालिया कोशिश की कामयाबी नहीं मिलने के बाद इसे बड़ी सफलता माना जा रहा है। भारत ने 2015 में एमटीसीआर की सदस्यता के लिए अपनी दावेदारी मजबूत की थी और अपना आवेदन किया था।
MTCR में शामिल होने के बाद भारत दो अन्य समूहों ऑस्ट्रेलियन ग्रुप और वास्सेनार एग्रीमेंट में शामिल होने की कोशिश करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि सोमवार को भारत एमटीसीआर का पूर्ण रूप से सदस्य बन जाएगा और एनएसजी की सदस्यता के कोशिश जारी रखेगा।
क्या है एमटीसीआर:
MTCR में कुल 34 प्रमुख मिसाइल निर्माता देश शामिल हैं। इसकी स्थापना 1987 में की गई थी जिसकी स्थापना फ्रांस, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका , इटली और कनाडा ने की थी। 2004 में बुल्गारिया को इस समूह का सदस्य बनाया गया था। अभी तक चीन और पाकिस्तान इस विशेष समूह के सदस्य नहीं बन पाए हैं और ऐसे में भारत का इस ग्रूप में शामिल होना इस दोनों देशों के लिए झटका होगा।
MTCR का सदस्य बनने से भारत को प्रमुख उत्पादक देशों से अत्याधुनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी और मॉनीटरिंग सिस्टम खरीद में मदद मिलेगी। जो कि केवल एमटीसीआर सदस्य देश ही खरीद सकते हैं। सदस्यता मिलने के साथ ही भारत के लिए अमेरिका से ड्रोन टेक्नोलॉजी लेना आसान हो जायेगा।
MTCR का मकसद मिसाइलों के विस्तार को प्रतिबंधित करने के अलावा रॉकेट सिस्टम को पूरा करना है। इस ग्रुप का सबसे बड़ा मकसद बड़े विनाश वाले हथियारों और तकनीक पर पाबंदी लगाना है। मानव रहित जंगी जहाजों पर 500 किग्रा भार के मिसाइल को 300 किमी तक ले जाने की क्षमता वाली तकनीक को बढ़ावा देना भी है।