नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के बारामूला क्षेत्र के ख्वाजा गाँव की रहने वाली 20 वर्षीय ‘आयशा अजीज‘ का बचपन से देखा हुआ सपना आखिरकार सच हुआ और वो भारत की सबसे कम उम्र की महिला पायलट बन गई! ये मुकाम हासिल करने वाली आयशा कश्मीर की पहली लड़की है।

बचपन के दिनों मे, घर के ऊपर आसमान में मंडराता हुआ विमान देखने के बाद आयशा ने विमान पायलट बनने का सोच लिया था। कुछ दिनों बाद आयशा का परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया था।

समय के साथ-साथ आयशा अपने इस सपने के प्रति और गंभीर होती चली गयी। इस सपने को पूरा करने में उसके परिवार ने हर मोड़ पर साथ दिया और प्रोत्साहित किया। 10 वीं की की पढ़ाई के बाद आयशा के पिता ने फ्लाइंग क्लास के लिए एडमिशन करा दिया, तब वो महज 15 साल की थी। उस वक्त पहली बार आयशा ने अपने सपने को हकीकत में बदलने की तरफ पहला कदम बढ़ाया था। उसने पहली बार जनवरी 2012 में सेसना-172R की उड़ान भरी। हालांकि अन्य माता-पिता की तरह उसके माता पिता को भी सुरक्षा की चिंता थी लेकिन ये चिंता कभी आयशा के सपने के बीच नहीं आई।

जब वो मुंबई के क्राइस्ट चर्च स्कूल में पढ़ने वाली 12वीं की छात्रा थी तब उसे तीन सदस्यीय टीम का एक हिस्सा बनकर नासा की यात्रा करने का अवसर मिला। वहां वह जॉन मैकब्राइड से मुलाकात की और स्कूबा डाइविंग, मून वॉक और बनी वॉक की सीखने की गतिविधियों में भाग लिया जो की एक अंतरिक्ष यात्री के लिए जरुरी चीज होती है।

उसके बाद आयशा 40 अन्य स्टूडेंट्स के साथ मुंबई फ्लाई क्लब जहाँ उसका खास खयाल रखा गया क्योंकि वह सबसे कम उम्र की थी। कमर्शियल पायलट लाइसेंस के लिए 200 घंटे में से 80 घंटे पुरे करना अनिवार्य होता है, जिसके लिए न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष होती है और उसके पहले वह 18 साल की हो गई थी।

कमर्शियल पायलट लाइसेंस मिलने के बाद जल्द ही इंडियन एयरलाइन से जुड़ सकती है जहाँ से वो विदेशी उड़ान भी भर सकेगी। लोग पूछते हैं कि क्या होगा अगर विमान क्रैश हो गया और वो मर गयी, उसने एक झटके में कह दिया, ‘ मौत वक्त और जगह तय करके नहीं आती है।’

वह शुरू से ही कुछ अलग और असाधारण करना चाहती थी। आज आयशा भारत के युवाओं के लिए एक उदाहरण है जिस तरीके से उसने तमाम बाधाओं को पार करके अपने सपने को हकीकत में बदलकर दिखाया।

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