[nextpage title=”टी. कुमारन” ]
भारत में 1853 में अंग्रेजो द्वारा शुरू की गई ट्रेन आज देश में यातायात का सबसे बड़ा और आरामदायक साधन है। भारतीय रेलवे पिछले 160 सालों से भी अधिक समय से लोगों को आरामदायक यात्रा सुविधा प्रदान कर रहा है। लोगों को सुरक्षित यात्रा मुहैया कराने के लिए भारतीय रेलवे के लाखों कर्मचारी दिन-रात काम में लगे रहते हैं। इनमें से कई कर्मचारी रोजाना सिर्फ इसलिए अपनी जान को खतरे में डालते हैं, ताकि हम और आप बेफिक्र होकर सुविधाजनक और सुरक्षित रेल यात्रा का आनंद ले सकें।
रेलवे के इन्ही कर्मचारियों में से एक हैं टी. कुमारन, जो रेलवे के चेन्नई विभाग में पाइंट्समैन के पद पर कार्यरत हैं। रोजाना की तरह एक दिन जब टी. कुमारन अपना काम रहे थे, तभी कहीं से अचानक उनके पैरों के पास एक साँप आ गया। एकदम से सांप को इतने पास देखकर टी. कुमारन सहम गए और वहीं बुत बनकर खड़े हो गए, तभी उन्हें दूसरी तरफ से आती ट्रेन की आवाज सुनाई दी।
ऐसे में अगर टी. कुमारन सांप से डरकर वहाँ से भाग जाते तो उनका काम पूरा न होने की वजह से ट्रेन आगे जाकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाती और अगर वहाँ रुकते तो साँप उन्हें काट लेता। इसी कशमकश में हाथ में लीवर पकड़े खड़े टी. कुमारन ने कुछ ऐसा किया, जिसे देखकर आप उनकी सराहना किए बगैर नहीं रह पायेंगे।
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अपने दिमाग में ट्रेन में बैठे हजारों लोगों का ख्याल लिए टी. कुमारन ने मौके से डरकर भागने की बजाय उससे डटकर सामना करने की ठानी। टी. कुमारन ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने काम को अंजाम दिया जिसकी वजह से ट्रेन में बैठे हजारों लोगों की जान बच सकी।
रेलवे में टी. कुमारन जैसे ही न जाने कितने कर्मचारी हैं, जो लोगों की यात्रा की सुरक्षित बनाने के लिए दिन-रात काम में लगे हुए हैं। ये कर्मचारी हमारी रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए रोजाना किसी न किसी तरह के खतरे से सामना करते हैं।
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अपने दमाग में ट्रेन में बैठे हजारों लोगों का ख्याल लिए टी. कुमारन ने मौके से डरकर भागने की बजाय उससे डटकर सामना करने की ठानी। टी. कुमारन ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने काम को अंजाम दिया जिसकी वजह से ट्रेन में बैठे हजारों लोगों की जान बच सकी।रेलवे में टी. कुमारन जैसे ही न जाने कितने कर्मचारी हैं, जो लोगों की यात्रा की सुरक्षित बनाने के लिए दिन-रात काम में लगे हुए हैं। ये कर्मचारी हमारी रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए रोजाना किसी न किसी तरह के खतरे से सामना करते हैं। रोजाना की तरह एक दिन जब टी. कुमारन अपना काम रहे थे, तभी कहीं से अचानक उनके पैरों के पास एक साँप आ गया। एकदम से सांप को इतने पास देखकर टी. कुमारन सहम गए और वहीं बुत बनकर खड़े हो गए, तभी उन्हें दूसरी तरफ से आती ट्रेन की आवाज सुनाई दी।ऐसे में अगर टी. कुमारन सांप से डरकर वहाँ से भाग जाते तो उनका काम पूरा न होने की वजह से ट्रेन आगे जाकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाती और अगर वहाँ रुकते तो साँप उन्हें काट लेता। इसी कशमकश में हाथ में लीवर पकड़े खड़े टी. कुमारन ने कुछ ऐसा किया, जिसे देखकर आप उनकी सराहना किए बगैर नहीं रह पायेंगे।
अपने दमाग में ट्रेन में बैठे हजारों लोगों का ख्याल लिए टी. कुमारन ने मौके से डरकर भागने की बजाय उससे डटकर सामना करने की ठानी। टी. कुमारन ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने काम को अंजाम दिया जिसकी वजह से ट्रेन में बैठे हजारों लोगों की जान बच सकी।रेलवे में टी. कुमारन जैसे ही न जाने कितने कर्मचारी हैं, जो लोगों की यात्रा की सुरक्षित बनाने के लिए दिन-रात काम में लगे हुए हैं। ये कर्मचारी हमारी रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए रोजाना किसी न किसी तरह के खतरे से सामना करते हैं। रोजाना की तरह एक दिन जब टी. कुमारन अपना काम रहे थे, तभी कहीं से अचानक उनके पैरों के पास एक साँप आ गया। एकदम से सांप को इतने पास देखकर टी. कुमारन सहम गए और वहीं बुत बनकर खड़े हो गए, तभी उन्हें दूसरी तरफ से आती ट्रेन की आवाज सुनाई दी।ऐसे में अगर टी. कुमारन सांप से डरकर वहाँ से भाग जाते तो उनका काम पूरा न होने की वजह से ट्रेन आगे जाकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाती और अगर वहाँ रुकते तो साँप उन्हें काट लेता। इसी कशमकश में हाथ में लीवर पकड़े खड़े टी. कुमारन ने कुछ ऐसा किया, जिसे देखकर आप उनकी सराहना किए बगैर नहीं रह पायेंगे।
अपने दमाग में ट्रेन में बैठे हजारों लोगों का ख्याल लिए टी. कुमारन ने मौके से डरकर भागने की बजाय उससे डटकर सामना करने की ठानी। टी. कुमारन ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने काम को अंजाम दिया जिसकी वजह से ट्रेन में बैठे हजारों लोगों की जान बच सकी।रेलवे में टी. कुमारन जैसे ही न जाने कितने कर्मचारी हैं, जो लोगों की यात्रा की सुरक्षित बनाने के लिए दिन-रात काम में लगे हुए हैं। ये कर्मचारी हमारी रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए रोजाना किसी न किसी तरह के खतरे से सामना करते हैं। रोजाना की तरह एक दिन जब टी. कुमारन अपना काम रहे थे, तभी कहीं से अचानक उनके पैरों के पास एक साँप आ गया। एकदम से सांप को इतने पास देखकर टी. कुमारन सहम गए और वहीं बुत बनकर खड़े हो गए, तभी उन्हें दूसरी तरफ से आती ट्रेन की आवाज सुनाई दी।ऐसे में अगर टी. कुमारन सांप से डरकर वहाँ से भाग जाते तो उनका काम पूरा न होने की वजह से ट्रेन आगे जाकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाती और अगर वहाँ रुकते तो साँप उन्हें काट लेता। इसी कशमकश में हाथ में लीवर पकड़े खड़े टी. कुमारन ने कुछ ऐसा किया, जिसे देखकर आप उनकी सराहना किए बगैर नहीं रह पायेंगे।
अपने दमाग में ट्रेन में बैठे हजारों लोगों का ख्याल लिए टी. कुमारन ने मौके से डरकर भागने की बजाय उससे डटकर सामना करने की ठानी। टी. कुमारन ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने काम को अंजाम दिया जिसकी वजह से ट्रेन में बैठे हजारों लोगों की जान बच सकी।रेलवे में टी. कुमारन जैसे ही न जाने कितने कर्मचारी हैं, जो लोगों की यात्रा की सुरक्षित बनाने के लिए दिन-रात काम में लगे हुए हैं। ये कर्मचारी हमारी रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए रोजाना किसी न किसी तरह के खतरे से सामना करते हैं। रोजाना की तरह एक दिन जब टी. कुमारन अपना काम रहे थे, तभी कहीं से अचानक उनके पैरों के पास एक साँप आ गया। एकदम से सांप को इतने पास देखकर टी. कुमारन सहम गए और वहीं बुत बनकर खड़े हो गए, तभी उन्हें दूसरी तरफ से आती ट्रेन की आवाज सुनाई दी।ऐसे में अगर टी. कुमारन सांप से डरकर वहाँ से भाग जाते तो उनका काम पूरा न होने की वजह से ट्रेन आगे जाकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाती और अगर वहाँ रुकते तो साँप उन्हें काट लेता। इसी कशमकश में हाथ में लीवर पकड़े खड़े टी. कुमारन ने कुछ ऐसा किया, जिसे देखकर आप उनकी सराहना किए बगैर नहीं रह पायेंगे।