[nextpage title=”ISRO” ]
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बुधवार को आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से कामयाबी का नया इतिहास रचते हुए रिकॉर्ड 20 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया। इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान की ये उड़ान सुबह 9 बजकर 26 मिनट पर लॉन्च की गई। इसमें भारत के उपग्रह सहित अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, इंडोनेशिया के उपग्रह शामिल हैं।
अगले पेज पर देखें गौरव के क्षणः
[/nextpage]
[nextpage title=”ISRO2″ ]
पीएसएलवी 34 मिशन में बाहरी देशों के जो सैटेलाइट भेजे जा रहे हैं वो इस प्रकार हैं:
- इंडोनेशिया-LAPAN A-3
- जर्मनी-BIROS
- कनाडा-M3MSAT
- यूएसए-स्काईसेट GEN 2-1
- कनाडा-GHGSAT 3
- यूएसए- 12 DOVE सैटेलाइट
https://www.youtube.com/watch?v=RA9rUbFsAqk
- भारत के कारटोसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह सहित 20 उपग्रहों के साथ पीएसएलवी सी-34 को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया।
- इस रॉकेट का मुख्य और सबसे वजनी हिस्सा पृथ्वी के अवलोकन से संबंधित 725.5 किलोग्राम का काटरेसैट-2 श्रृंखला का उपग्रह है। इस उपग्रह पहले काटरेसैट 2, 2 ए और 2 बी के समान है।
- अन्य 19 उपग्रहों में 560 किलोग्राम के अमेरिका, कनाडा, जर्मनी और इंडोनेशिया के साथ-साथ चेन्नई के सत्यभामा विश्वविद्यालय और पुणे के कॉलेड ऑफ इंजीनियरिंग के दो उपग्रह शामिल हैं।
- रॉकेट 1,288 किलोग्राम पेलोड के साथ दूसरे लांच पैड से प्रक्षेपित किया गया. इस पूरे मिशन में तकरीबन 26 मिनट लगे।
- इसरो पहली बार इस मिशन के तहत एकल रॉकेट से 10 से अधिक उपग्रहों का प्रक्षेपण कर रहा है, साल 2008 में इसरो ने पीएसएलवी रॉकेट से 10 उपग्रह प्रक्षेपित किए थे।
- काटरेसैट उपग्रह से भेजी जाने वाली तस्वीरें काटरेग्राफिक, शहरी, ग्रामीण, तटीय भूमि उपयोग, जल वितरण और अन्य अनुप्रयोगों के लिए मददगार होंगी।
अगले पेज पर देखें लोगों का उत्साहः
[/nextpage]
[nextpage title=”ISRO3″]
एक सैटेलाइट गूगल काः
- इन सैटेलाइटों में स्काईसेट GEN 2-1 गूगल का सैटेलाइट है जिसको इमेजरी के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
- इसके अलावा इस लॉन्चिंग में चेन्नई की एक निजी यूनिवर्सिटी का सत्यभामा सैटेलाइट और पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का स्वयंम सैटेलाइट है।
- सत्यभामा विश्वविद्यालय का 1.5 किलोग्राम वजनी सत्याभामासैट उपग्रह ग्रीन हाउस गैसों के आंकड़े एकत्र करेगा, जिसका प्रयोग वायुमंडल में होने वाले प्रदूषण के अध्ययन के लिए किया जाएगा।
- वहीं, पुणे का एक किलोग्राम का स्वायन उपग्रह हैम रेडियो कम्युनिटी को संदेश भेजेगा, इस सैटेलाइट को हैम रेडियो के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
सैटेलाइट करेगा जमीन की निगरानीः
- कॉर्टोसैट सैटेलाइट इसरो के अपने सैटेलाइट हैं और इन सैटेलाइटों का मुख्य मकसद धरती की हाई रिजॉल्यूशन इमेजरी तैयार करना है।
- कॉर्टोसैट में खास तरह के कैमरे लगे हैं जो भारत में जमीन पर होने वाले किसी भी वानस्पातिक या भूगर्भीय परिवर्तन को बारीकी से पहचान सकेगा।
- इस सैटेलाइट के जरिए भारत ये सही सही जान पाएगा कि यहां पर किस तरह के और कितने जंगल हैं।
[/nextpage]