भारत की युगल बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने कहा कि भारत में डबल्स खिलाडि़यों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, सारा ध्यान सिंगल्स के खिलाडि़यों पर रखा जाता है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि अगर मौका मिले तो वो डबल्स की हेड कोच बनना चाहेंगी।
युगल खिलाड़ी बनने के लिए हिम्मत चाहिए-
- ज्वाला ने कहा कि ओलंपिक की तैयारियों से पहले उनका ट्रेनर एक सिंगल खिलाड़ी पर ज्यादा ध्यान रखता था।
- लेकिन वो कुछ नहीं कह पाती थी।
- भारतीय महिला शटलर ने कहा कि ओलंपिक ही नहीं कई सिंगल खिलाडि़यों को स्पांसर मिल जाते हैं।
- उन्होंने कहा, ‘हमारे साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया जाता है और इतने सालों में कुछ भी नहीं बदला है।’
- आगे उन्होंने कहा, ‘हम यहां केवल इसलिए हैं क्योंकि हम यहां रहना चाहते हैं और हमें किसी तरह का सहयोग नहीं मिलता है।’
- ज्वाला ने कहा, ‘यह मेरे करियर का आखिरी चरण है लेकिन हमारे पास अब भी युगल संस्कृति नहीं है।’
- ज्वाला गुट्टा के अनुसार भारत में युगल खिलाड़ी बनने के लिए हिम्मत चाहिए।
डबल्स की हेड कोच बनना चाहती हैं ज्वाला-
- डबल्स की खिलाड़ी ज्वाला ने इच्छा जताई है कि अगर उन्हें डबल्स का हेड बनने का मौका मिला तो वो पीछे नहीं हटेंगी।
- वो अब डबल्स की स्थिति सुधारना चाहती हैं जिससे कि डबल्स से और भी अच्छे खिलाड़ी मिल सकें।
- डबल्स की बात करें तो सिर्फ ज्वाला, अश्विनी पोनप्पा, मनु अत्री, सुमित रेड्डी ही जहन में आएंगे।
- ऐसी स्थिति हो गई है कि कोई डबल्स का खिलाड़ी नहीं बनना चाहता है।
- ज्वाला गुट्टा इसमें बदलाव लाना चाहतीं हैं।
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