हिंदू धर्म में अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में त्रिदेव के नाम से प्रसिद्ध ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से महेश यानी भगवान शिव की पूजा सबसे ज़्यादा की जाती है। यही वजह है कि पूरे देश में भगवान शिव के सबसे ज़्यादा मंदिर देखने को मिलते हैं। भगवान शिव को भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह एक बार जिसके ऊपर प्रसन्न हो गए, उसका जीवन बदल जाता है। आज इसी क्रम में महादेव के भक्तों को हम भगवान शिव से जुड़े एक महत्वपूर्ण रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकार शायद पहली बार में किसी को यकीन नहीं होगा।
एमपी में है जोगेश्वर धाम :
हम आपको भगवान शिव के एक प्रसिद्ध धाम के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जोगेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है। यह पवित्र स्थान मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के बाँदकपुर में स्थित है।
यहाँ स्थित भगवान शिव के शिवलिंग का आकार दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यहाँ रहने वाले स्थानीय लोगों का इस घटना पर कहना है कि पहले इस शिवलिंग का आकार सिर्फ एक मुट्ठी भर था।
लेकिन अब यह बढ़कर इतना बड़ा हो गया है कि इसे हाथों में समेटना भी मुश्किल हो गया है। जोगेश्वर धाम जाने का रास्ता रूपनाथ धाम से होकर गुज़रता है।
रूपनाथ मंदिर की सीढ़ियों से आगे जाने पर छोटा मंदिर दिखता है जो पहाड़ों के बीच बना हुआ है।
इस स्थान के बारे में लोगों का कहना है कि ये वही जगह है जहाँ भस्मासुर के डर से भगवान शंकर छुपकर बैठे थे। उस समय यहाँ पर एक गुफा थी जो आज मंदिर बन चुकी है।
इस मंदिर में एक शिवलिंग भी है जिसे स्वयंभू के नाम से जाना जाता है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, भगवान शंकर के यहाँ से जाने के बाद ही शिवलिंग ज़मीन से अपने आप बाहर निकला था।
इस शिवलिंग के पीछे से एक गुफा का रास्ता है जो बाँदकपुर तक जाता है। मान्यता है कि इसी गुफा के रास्ते से होते हुए भगवान शंकर भी बाँदकपुर गए थे।
हालाँकि अब यह रास्ता बंद हो चुका है। लोगों के अनुसार, कलयुग शुरू होने पर ये रास्ता पत्थरों के खिसकने की वजह से बंद हो गया था।
कुछ समय पहले तक यहाँ लोगों का आना-जाना लगा हुआ था। गाँव वालों के अनुसार गुफा के रास्ते से बाँदकपुर की दूरी 15 किलोमीटर है।