रियो ओलंपिक में भारत के लिए अच्छी खबर है। भारतीय धाविका ललिता शिवाजी बाबर ने अच्छी खबर देते हुए रियो में भारतीय पदक की उम्मीदों को जिंदा रखा है। लेलिता बाबर ने शनिवार को खेली गई 3000 मीटर की स्टीपलचेज स्पर्धा में नेशनल रिकॉर्ड कायम करते हुए फाइनल में प्रवेश किया है।
ललिता बाबर ने ओलंपिक में रचा इतिहास
- ललिता बाबर ने शनिवार को खेली गई 3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा में नेशनल रिकॉर्ड कायम करते हुए फाइनल में प्रवेश कर लिया है।
- अब फाइनल स्पर्धा में पदक के लिए सोमवार को ट्रैक पर अपना दम दिखाएंगी।
- ललिता 32 साल बाद ओलंपिक खेलों के एथलेटिक्स के फाइनल में प्रवेश करने वाली पहली भारतीय एथलीट भी बन गईं है।
- ललिता बाबर से पहले साल 1984 में उड़नपरी के नाम से मशहूर पी. टी. ऊषा महिलाओं की 400 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल तक पहुंचने में सफल हुई थीं।
- ललिता ने अपनी स्पर्धा में 9 मिनट 19.76 सेकेंड का समय निकालते हुए हीट-2 में चौथा स्थान हासिल प्राप्त किया।
- ललिता बाबर फाइनल के लिए क्वालिफाई करने वाली 15 धाविकाओं में सातवें स्थान पर रहीं हालांकि कुल 52 प्रतिभागियों में सुधा का 30वां स्थान रहा।
- इससे पहले, हीट-2 में चौथे स्थान पर रहीं ललिता, तंजानिया की धावक हबीबा गरीबी से मात्र 1 सेकेंड पीछे रह गई थीं और सीधे-सीधे फाइनल में प्रवेश करने से चूक गई थीं।
- लेकिन सभी हीट संपन्न होने के बाद क्वालिफाई करने वाले कुल खिलाड़ियों में स्थान बनाने में कामयाब रहीं। स्पर्धा में शामिल एक अन्य भारतीय धावक सुधा सिंह क्वालिफिकेशन दौर से बाहर हो गईं।
- हीट-3 में दौड़ीं सुधा 9 मिनट 43.29 सेकेंड समय के साथ नौवें स्थान पर रहीं और फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकीं।
रियो ओलंपिक में आज भारतीय मुक्केबाज विकास कृष्णन से उम्मीदें !
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