एक के बदले दस ।
जोश पड़ा ठंडा ?
ऐ छप्पन इंच ।
कब उठेगा डंडा ?
काँप रही रूह ।
ग़ुस्से में आवाम ।।
कड़ी निंदा बेअसर ।
दिखाओ तुम अंजाम ।।
लव-लेटर फाड़ दो ।
रूखसत विदेश नीति ।।
ना करो असहाय ।
नहीं हिंद की रीति ।।
कृष्णेन्द्र राय
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